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    मोदी सरकार का प्लान, अब पाक के भीतर भी सुरक्षित नहीं बचेंगे भारत के दुश्मन

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Tue, 04 Oct 2016 05:03 PM (IST)

    सुरक्षा एजेंसियां अब पाकिस्तान के भीतर भी कोवर्ट ऑपरेशन कर भारत के दुश्मनों को खत्म करने की तैयारी में है।

    नई दिल्ली, (नीलू रंजन)। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भले ही आतंकी पाकिस्तान के भीतरी इलाकों में भाग गए हों, लेकिन वे वहां भी ज्यादा दिन तक सुरक्षित नहीं रह पाएंगे। सुरक्षा एजेंसियां अब पाकिस्तान के भीतर भी कोवर्ट ऑपरेशन कर भारत के दुश्मनों को खत्म करने की तैयारी में है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान के भीतर हमने मजबूत नेटवर्क तैयार कर लिया है और जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कोवर्ट आपरेशन के लिए किया जा सकता है।

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    दरअसल मोदी सरकार के पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के फैसले के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हौसले बुलंद हैं और उन्हें विश्वास है कि पाकिस्तान के भीतर देश के दुश्मनों को खत्म करने के लिए सरकार कोवर्ट आपरेशन को हरी झंडी दे देगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी के कारण पाक के भीतर छिपे दुश्मनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे।

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    पहले भारत सरकार ऐसे अपराधियों व आतंकियों का डोजियर पाकिस्तान को थमाकर चुप बैठ जाती थी। यही कारण है कि आइएसआइ के संरक्षण में आतंकी आकाओं के हौसले लगातार बढ़ते चले गए। मोदी सरकार के आने के बाद पाकिस्तान को डोजियर देने का सिलसिला बंद हुआ और अब सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने अपना रूख साफ कर दिया है।

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    गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस साल जनवरी में ही दावा किया था कि दक्षिण भारत के राज्य की पुलिस अब अपने एजेंट को पाकिस्तान के किसी भी आतंकी संगठन में घुसाने में सक्षम हो गई है। पिछले दो सालों में आइएसआइएस से लेकर अलकायदा और आइएम के अधिकांश आतंकियों की गिरफ्तारी का श्रेय इसी राज्य की पुलिस को जाता है। खास बात यह है कि इन आतंकियों को अपने मंसूबे को अंजाम देने के पहले ही गिरफ्तार कर लिया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इतनी क्षमता हासिल करने के बाद पाकिस्तान के भीतर कोई भी कोवर्ट आपरेशन मुश्किल नहीं है।

    एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारतीय एजेंसियां 1970 के दशक से ही पाकिस्तान के भीतर कोवर्ट आपरेशन करने में सक्षम थीं, लेकिन अपनी क्षमता के प्रदर्शन का उन्हें कोई मौका ही नहीं दिया गया। तीन साल पहले एजेंसियों ने कराची में दाऊद इब्राहिम को मारने का पूरा प्लान तैयार कर लिया था और इसके लिए सात एजेंट को अलग-अलग देशों के पासपोर्ट पर वहां पहुंचा भी दिया गया था। लेकिन अंतिम समय में इस आपरेशन को रद्द कर दिया गया और सभी एजेंट वापस लौट आए।

    कोवर्ट आपरेशन में एजेंटों की पहचान छुपी होती है और टारगेट को खत्म करने के बाद उन्हें चुपचाप वापस निकाल लिया जाता है। कोई भी सरकार कोवर्ट आपरेशन की जिम्मेदारी नहीं लेती है। इस्त्रायल अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए लंबे समय से इस तरह का कोवर्ट आपरेशन करता रहा है। इस्त्रायली एजेंसियों के साथ करीबी रिश्ता इसमें भारतीय एजेंसियों के काम आ सकता है।

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