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    जम्मू-कश्मीर का भविष्य भारतीय संघ में ही सुरक्षित : महबूबा मुफ्ती

    By Ravindra Pratap SingEdited By:
    Updated: Mon, 09 May 2016 09:20 AM (IST)

    जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा, जम्मू कश्मीर का भविष्य भारतीय संघ में ही सुरक्षित है।

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि भारत-पाक विभाजन में हमारी कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन खामियाजा हम भुगत रहे हैं। जम्मू-कश्मीर का भविष्य भारतीय संघ में ही सुरक्षित है, जिसने भी रियासत को हिन्दुस्तान के साथ जोडऩे का फैसला किया, समझदारी भरा सही फैसला था।

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    महबूबा ने रविवार को कश्मीर हाट में खादी प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में यह बात कही। समारोह में माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा भी मौजूद थे। महबूबा ने समारोह में मौजूद लोगों के साथ कई बार केंद्रीय मंत्री को भी संबोधित करते हुए अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि भारत-पाक विभाजन के कारण जम्मू-कश्मीर पिछले 65 वर्षों से मुसीबतें झेल रहा है। प्रधानमंत्री हमें इस स्थिति से निकालें। कश्मीर की एक पीढ़ी ङ्क्षहसा और राजनीतिक अस्थिरता के कारण तबाह हो गई है। खराब माहौल के कारण ही दस्तकारी और पर्यटन में कश्मीर अपनी क्षमताओं के अनुरूप लाभ लेने में नाकाम रहा है।


    उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी मुल्क जहां मासूमों का कत्ल रोजमर्रा की बात है, कोई अपना मुंह नहीं खोल सकता। वहां प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सूली पर लटका दिया गया, लेकिन लोग चाहकर भी नहीं बोल पाए, जबकि हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं है। यह एक बहुलवादी राष्ट्र है और यहां हरेक को अपनी बात कहने की आजादी है।

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    अफजल गुरु का उल्लेख करते हुए महबूबा ने कहा कि जब एक कश्मीरी जिसका 28वां नंबर था, सबसे पहले फांसी पर लटका दिया गया। मैं इसके कारणों में नहीं जाना चाहूंगी, लेकिन यहां कश्मीर में ही नहीं पूरे मुल्क में अध्यापक, वकील, समाजसेवी, मानवाधिकारवादी इसके विरोध में सड़क पर उतर आए। संसद हमले की साजिश रचने के आरोप में अफजल को 9 फरवरी 2013 को फांसी पर लटका दिया गया था।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना
    पाक दौरे के लिए प्रधानमंत्री की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी हमें उस मुश्किल हालात से निकालें, जिनका हम बिना किसी गलती के शिकार हुए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जो मिशन शुरू किया था, उसे पूरा करने के प्रयास होंं। अटल बिहारी के दौरे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय मेरे पिता ने उनके साथ मिलकर न सिर्फ क्रॉस एलओसी बस सेवा बहाल कराई, बल्कि कई अन्य साहसपूर्ण कदम उठाए। अफसोस, जो शुरुआत 2002-2003 में हुई, उसे बाद में आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
    महबूबा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अमन बहाली के दुश्मन दोनों मुल्कों में हैं, लेकिन हमें इन लोगों की परवाह किए बिना आगे बढऩा है।

    पथराव नहीं होना चाहिए
    महबूबा ने कहा कि वह अपना गुस्सा जताने, अपनी बात कहने और सियासी एजेंडे को प्रकट करने के लिए ङ्क्षहसा या पथराव का सहारा न लें। पथराव का कोई शांतिपूर्ण विकल्प अपनाया जाना चाहिए। शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के लिए मस्जिद जाने से पहले दस बार बुजुर्ग सोचते हैं। लगातार पथराव के कारण अब जुम्मा मुबारक नहीं बल्कि जुम्मा पथराव हो गया है।

    महंगी, बेकार चीजें नहीं खरीदती
    प्रदर्शनी में विभिन्न स्टालों से गुजरते हुए महबूबा ने एक समावार समेत कुछ अन्य सामान खरीदा। उन्होंने कहा कि मैं कभी भी महंगी और बेकार चीजें नहीं खरीदती। अभी इस समावार पर बहुत काम होना बाकी है, इसके बावजूद यह बेहतर है।

    महबूबा को याद आया बचपन
    प्रदर्शनी मैदान में सजी दुकानों का चक्कर लगाते हुए महबूबा ने अपने बचपन के दिनों को भी खूब याद किया। उन्होंने कहा कि मुझे आज भी वह दिन याद हैं, जब हम लोग यहां एग्जीबिशन और मेले देखने आते थे। उन्होंने एजी कार्यालय की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इसके पीछे सीआरपीएफ कैंप है। बचपन में यहां बहुत मजा था, कोई डर का माहौल नहीं था।

    सुखद भविष्य के लिए है गठजोड़
    भाजपा के साथ गठजोड़ के अपने पिता के फैसले को सही ठहराते हुए महबूबा ने कहा कि अगर आप चुनावी सियासत के नजरिए से देखें तो इस फैसले का हमें ही नहीं भाजपा को भी नुकसान हुआ है, लेकिन स्वर्गीय मुफ्ती साहब और प्रधानमंत्री ने वोटों के लिए नहीं कश्मीर के सुखद व सुरक्षित भविष्य के लिए हाथ मिलाया है।

    पिता का मिशन पूरा करना है लक्ष्य
    अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद के रास्ते पर चलने का यकीन दिलाते हुए महबूबा ने कहा कि मेरे पिता भारत में कश्मीर विलय को अंतिम और सही मानते थे। मैं उनसे सहमत हूं। मेरा इरादा कभी नहीं बदलेगा। मेरे पिता राज्य में अमन और खुशहाली चाहते थे और मैं इसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयासरत हूं।

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