आप को समर्थन पर कांग्रेस में घमासान
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बुरी तरह हारी कांग्रेस ने दांव तो खेला था आम आदमी पार्टी [आप] को सरकार में फंसाने का, लेकिन उसे समर्थन देकर वह खुद ही फंस गई। जब होश आया तो देर हो चुकी थी। लिहाजा, अब आप को समर्थन के मसले पर ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। फैसले के विरोध में कांग्रेसी ही धरना-प्रदर्शन पर उतर आए हैं। कांग्रेस है कि अब चाहकर भी आप से दूर नहीं जा सकती। ऐसे में, आम आदमी पार्टी की उसका समर्थन फिलहाल जारी रहेगा।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे बुरी तरह हारी कांग्रेस ने दांव तो खेला था आम आदमी पार्टी [आप] को सरकार में फंसाने का, लेकिन उसे समर्थन देकर वह खुद ही फंस गई। जब होश आया तो देर हो चुकी थी। लिहाजा, अब आप को समर्थन के मसले पर ही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। फैसले के विरोध में कांग्रेसी ही धरना-प्रदर्शन पर उतर आए हैं। कांग्रेस है कि अब चाहकर भी आप से दूर नहीं जा सकती। ऐसे में, आम आदमी पार्टी की उसका समर्थन फिलहाल जारी रहेगा।
आप को समर्थन के बाद कांग्रेस अब कहां खड़ी है? अंदाजा लगाया जा सकता है। समर्थन के विरोध में दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन के सवाल पर कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा, 'पार्टी में एक राय यह भी कि समर्थन का निर्णय शायद इस रूप में उचित नहीं था। दिल्ली की जनता ने हमें तीसरे नंबर पर रखा। पार्टी महज आठ सीटें जीती। हमें नेता विपक्ष का पद तक नहीं मिला। इसलिए कांग्रेस को कहना चाहिए था कि हमें जनादेश नहीं मिला। जिसे जिससे मिलकर सरकार बनाना है, बनाए और चलाए। ऐसे में उचित यही होता कांग्रेस विपक्ष की भूमिका निभाए। हमारा दायित्व यह देखना नहीं था कि सरकार कौन बनाए, कौन चलाए'।
एक सवाल के जवाब में कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'जब पार्टी ने समर्थन का प्रस्ताव कर ही लिया है तो उसे निभाना ही होगा। बीच का रास्ता निकालकर चलना होगा।' हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि पार्टी जनता से जुड़े मुद्दे उठाती रहेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस आप से समर्थन वापस ले लेगी? द्विवेदी ने उसका कुछ अलग अंदाज में जवाब दिया, 'अतिवाद व आतंकवाद में बड़ा फर्क है और कांग्रेस अतिवादी नहीं है।' उधर, कांग्रेस आलाकमान के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने कहा, 'कांग्रेस ने आप को समर्थन किया है। हम उनसे अच्छे काम की उम्मीद करते हैं।'
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने एक दिन पहले सोमवार को ही बिना शर्त समर्थन की बात से पलटी मार चुकी हैं। इस बीच, कांग्रेस के उच्चपदस्थ सूत्रों ने कहा कि आप को समर्थन का फैसला एआइसीसी [अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी] का नहीं था। उसे दिल्ली प्रदेश कमेटी और प्रभारी महासचिव पर छोड़ दिया गया था।
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