नोटबंदी : केन्द्र को SC की चेतावनी, जल्दी करें नहीं तो भड़क सकता है दंगा
गुरुवार को अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केन्द्र सरकार की नई अर्जी का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति एआर दवे व न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की पीठ से जल्द सुनवाई की मांग की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 500 और 1000 के नोट बंदी के मामलों पर हाईकोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने की केंद्र सरकार की मांग शुक्रवार को ठुकरा दी। कोर्ट ने कहा कि लोगों को हाईकोर्ट जाने का अधिकार है। अगर उसे बंद कर दिया गया तो समस्या की गंभीरता का पता कैसे चलेगा। लोग परेशान हैं। गुस्से में हैं। स्थिति गंभीर है। ऐसे में जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो दंगा होने लगेगा।
कोर्ट ने कहा कि सुनवाई पर रोक लगाने के बजाए सारे मामले एक हाईकोर्ट में स्थानांतरित किये जा सकते हैं। कोर्ट का रुख देख कर अटार्नी जनरल ने अर्जी पर सुनवाई 25 तक टालने का आग्रह करते हुए कहा कि इस बीच वे स्थानांतरण याचिका दाखिल करेंगे।
नोट बंदी की स्थिति पर ये टिप्पणियां मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई के दौरान कीं। केंद्र सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में अर्जी दाखिल कर देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों व निचली अदालतों में लंबित नोट बंदी से संबंधित मुकदमों की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की थी।
शुक्रवार को जैसे ही सुनवाई शुरू हुई कोर्ट ने सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से सवाल किया कि पिछली सुनवाई पर तो कोर्ट ने उनसे लोगों की सहूलियतें बढ़ाने को कहा था और सरकार ने तो पैसे ही 4500 से घटा कर 2000 कर दिये। सरकार को क्या मुश्किल है। पीठ ने कहा कि 2000 के नोटों की कमी की बात तो समझ आती है लेकिन लेकिन 100 के नोट देने में क्या मुश्किल है। रोहतगी ने कहा कि करेंसी की कमी है। नोट छाप कर उसे जगह जगह पहुंचाना बहुत मुश्किल हो रहा है। सबको 100 के नोट नहीं दिये जा सकते। 100 के नोट इतने नहीं हैं। 85 फीसदी नोट तो 500 और 1000 के चल रहे थे।
सरकार 2000, 500 और 100 के नोट दे रही है। स्थिति में पहले से सुधार हुआ है। बैंको की लाइनों में कमी आयी है। सरकार लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। लगातार सहूलियतें बढ़ाई जा रही हैं। किसानों के लिए 50000 की छूट दी गई है। शादी में 2.5 लाख निकाले जा सकते हैं। पैट्रोल पंपो पर भी कार्ड स्वैप करके 2000 रुपये लिए जा सकते हैं। उधर दूसरी और नोट बंदी का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने रोहतगी की दलीलों का जोरदार विरोध किया।
सिब्बल ने कहा कि स्थिति गंभीर है। सरकार के पास पर्याप्त नगदी नहीं है और उसने अधिसूचना जारी कर दी। सरकार को करीब 14.5 लाख करोड़ रुपये चाहिये जिसे छापने की सरकार के पास क्षमता ही नहीं है। सिब्बल ने कहा कि सरकार सिर्फ मेरे पैसे की ट्रस्टी है। सरकार मुझे मेरा पैसा देने से कैसे मना कर सकती है। उन्होंने कहा कि किसानों को, मंडी में मजदूरों को बहुत परेशानी हो रही है। काम नही है पैसा नहीं है। लोग पैसा निकालने के लिए किलोमीटरों चल कर एटीएम पहुंच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस देश में कितने लोग हैं जो पढ़ना लिखना नहीं जानते जिनके पास बैंक खाता नहीं है। उन लोगों से कहा जा रहा है कि पैट्रोल पंप पर कार्ड स्वैप करके पैसा निकालो। अभी तक 47 लोगों की मौत हो चुकी है। और ये ऐसे बता रहे हैं जैसे बाहर स्वर्ग हो। रोहतगी ने सिब्बल पर राजनीति करने का आरोप लगाया। कहा कि वे इसे राजनैतिक मंच बना रहे हैं। जिसका सिब्बल ने विरोध किया।
दोनों पक्षों की नोकझोक पर कोर्ट ने कहा कि ये मामला गंभीर है। वे लोग स्थिति के बारे में आंकड़े पेश करें ताकि उसकी जांच हो सके। कोर्ट ने रोहतगी से कहा कि वे लोगों की परेशानियां दूर करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी कोर्ट को दें। मामले पर 25 नवंबर को फिर सुनवाई होगी।
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