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    निर्भया मामला: अपने आदेश में कोर्ट ने कई बार दोषियों पर की तीखी टिप्‍पणी

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Fri, 05 May 2017 05:20 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कई बार मामले को रेयरेस्‍ट ऑफ रेयर बताया। कोर्ट ने कहा कि कानून सिर्फ कागजों तक ही सीमित होकर न रह जाएं।

    निर्भया मामला: अपने आदेश में कोर्ट ने कई बार दोषियों पर की तीखी टिप्‍पणी

    नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। 16 दिसंबर 2012 को दिल्‍ली में चलती बस हुए निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना आदेश सुनाते हुए सभी चार दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने 429 पन्‍नों में सिलसिलेवार तरीके से 149 बिंदुओं में अपने इस फैसले को लिखा है। फैसले में कई बार कोर्ट ने दोषियों और उनके द्वारा किए गए जघन्‍य अपराध को लेकर तीखी टिप्‍पणी भी की है। जानिए कोर्ट ने अपने आदेश में क्‍या कहा:-

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    - कोर्ट अपने फैसले में इस मामले को रेयरेस्‍ट ऑफ रेयर मानते हुए कहा कि मामले के सभी दोषी कोर्ट की दया के पात्र नहीं हो सकते हैं।

    - कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में दोषियों ने जिस तरह से अपराध किया और युवती और युवक को सड़क पर फेंक कर कुचलने का प्रयास किया वह इनकी पाश्विकता काे दर्शाता है जिसके लिए इन्‍हें कोई रियायत नहीं दी जा सकती है।

    - कोर्ट का कहना था कि दोषी भले ही पुराने अपराधी न हों, लेकिन उन्‍होंने जिस जघन्‍य तरीके से युवती से रेप किया और उसके शरीर में लोहे की रॉड डालकर उसके अंदरुणी अंगों को उसके नष्‍ट किया और इसके बाद उसे  उसके पुरुष मित्र के साथ भयंकर ठंड में चलती बस से बाहर नंगे बदन फेंक दिया, वह मामला 'रेयरेस्‍ट ऑफ रेयर' में ही आ सकता है। इसके लिए फांसी से कम की सजा नहीं हो सकती है। इस मामले को 'रेयरेस्‍ट ऑफ रेयर' कैटेगिरी से बाहर नहीं किया जा सकता है।

    - कोर्ट का कहना था कि इस युवती की मौत ने इस तरह के अपराधों के खिलाफ समाज का नजरिया बदला और लोगों की आंखें खोली।

    -कोर्ट ने उम्‍मीद जताई कि यह आदेश महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और महिलाओं को इज्‍जत देने में सहायक साबित होगा।

    - कोर्ट ने उम्‍मीद जताई कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को रोकने के लिए बनाए गए कानून सिर्फ कागजों तक ही सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इनको रोकने में कारगर साबित होंगे।

    - कोर्ट ने कहा कि यह हम सभी की जिम्‍मेदारी है कि हम समाज को अपराध मुक्‍त बनाने में मदद करें और समाज को सही मूल्‍यों के साथ उचित मार्गदर्शन प्रदान करें।

    - कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस जघन्‍य अपराध के बाद न दिल्‍ली बल्कि पूरे देश में प्रदर्शन हुए थे। हर कोई यह सोचने पर मजबूर था कि हम क्‍या एक सभ्‍य समाज में रह रहे हैं।

    - कोर्ट का कहना था कि उनके विचार में इस मामले में फांसी की सजा को दरकिनार कर उम्रकैद की सजा देने का कोई तथ्‍य सामने नहीं आता है।

    - कोर्ट का क हना था कि दोषियों की उम्र उनकी  गरीबी और तंगहाली या फिर उनके ऊपर अन्‍य परिजनों की जिम्‍मेदारी इस मामले में उनके अपराध और उनकी सजा को कम करने में नाकाफी है।

    - कोर्ट ने अपने आदेश के अंत में स्‍वामी विवेकानंद के कथन का उल्‍लेख करते हुए कहा कि किसी भी देश का विकास इस बात का संकेत होता है कि वहां पर महिलाओं को किस नजर से देखा जाता है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले सिर्फ महिलाएं ही प्रभावित नहीं होती हैं बल्कि पूरे समाज और देश का विकास रुक जाता है।