अपनी लड़ाई लड़ने में खुद सक्षम हैं दुर्गा: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने जनहित याचिका पर विचार कर ...और पढ़ें

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने जनहित याचिका पर विचार करने से इन्कार करते हुए कहा कि अधिकारी अपने लिए याचिका दाखिल करने में स्वयं सक्षम है। इस मसले पर जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती। याचिका खारिज होने के कुछ घंटे बाद ही वकील एमएल शर्मा ने एक नई अवमानना याचिका दाखिल कर दी।
इससे पहले, शर्मा ने जनहित याचिका के जरिये सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले का हवाला देते हुए दुर्गा शक्ति के निलंबन को न्यायालय की अवमानना बताते हुए निरस्त किए जाने की मांग की थी।
शुक्रवार को न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि अधिकारी स्वयं सक्षम है। वह अपने बारे में अदालत व अन्य प्राधिकरण के समक्ष याचिका दाखिल कर सकती हैं। अगर वह याचिका दाखिल करेंगी तो उस पर कोर्ट सुनवाई करेगा और जरूरत हुई तो अंतरिम आदेश भी जारी करेगा। लेकिन इस मसले पर जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
इससे पहले शर्मा ने अपनी जनहित याचिका पर बहस करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 29 सितंबर 2009 और 16 फरवरी 2010 को सरकारी व सार्वजनिक भूमि पर अवैध धार्मिक स्थलों का निर्माण रोकने का आदेश दिया था और आदेश के पालन की जिम्मेदारी जिला कलेक्टरों पर डाली थी। शर्मा की दलील थी कि नागपाल ने कोर्ट के उसी आदेश का पालन किया था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने उसे निलंबित कर दिया। कोर्ट के आदेश का पालन करने पर दंडित नहीं किया जा सकता। ऐसा करना न्यायालय की अवमानना होती है। दुर्गा शक्ति का निलंबन न्यायालय की अवमानना है।
पीठ ने उनकी दलीलें नकारते हुए कहा कि अगर ऐसा है तो वह अवमानना याचिका दाखिल करते, उन्होंने जनहित याचिका क्यों दाखिल की है। शर्मा ने कहा कि कोर्ट उन्हें अवमानना याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दे। लेकिन कोर्ट ने कोई भी आदेश देने से इन्कार करते हुए शर्मा की जनहित याचिका खारिज कर दी। इसके बाद शर्मा ने दुर्गा शक्ति के निलंबन मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ न्यायालय की अवमानना याचिका दाखिल कर दी। हालांकि इस पर सुनवाई की कोई तिथि तय नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गत 27 जुलाई को दुर्गा शक्ति को एक मस्जिद की दीवार ढहाने के मामले में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था।
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