केन्द्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा बनाए रखें यथास्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में नई सरकार के गठन और राष्ट्रपति शासन खत्म करने पर फिलहाल रोक लगाते हुए कहा कि यथास्थिति बनाए रखा जाए।
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अरूणाचल प्रदेश में लागू राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति से करने का फैसला किया। इसके कुछ घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य में यथास्थिति बनाए रखी जाए।
कोर्ट ने कहा कि विधानसभा के पूर्व स्पीकर नबाम रेबिया द्वारा कांग्रेस के 14 विद्रोही विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले पर विधानसभा के रिकॉर्डो के उसके अध्ययन और न्यायिक परीक्षण तक राज्य में राष्ट्रपति शासन बना रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश वरिष्ठ वकीलों फली एस. नरीमन और कपिल सिब्बल की राज्य में यथास्थिति बनाए रखने की मांग पर दिया। दोनों वकीलों ने कहा कि राज्य में तब तक यथास्थिति बनाए रखी जाए जब तक कि राज्यपाल जेपी राजखोवा को राज्य में नई सरकार को शपथ दिलाने से रोकने की उनकी याचिका पर कोई फैसला नहीं हो जाता है।
मंगलवार को दोनों वकीलों को अपने प्रयासों में सफलता नहीं मिली थी। जस्टिस जे.एस. खेहर की अध्यक्षतावाली पांच जजों की पीठ ने उनकी याचिका पर अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने राज्यपाल को राज्य में नई सरकार को शपथ दिलाने से रोकने से इनकार कर दिया था।
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बुधवार को पीठ ने अरणाचल विधानसभा के महासचिव और गुवाहाटी हाई कोर्ट के रजिस्ट्री को गुरूवार तक विधायकों को अयोग्य ठहराने का रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अरूणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की गई। राज्य में 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। सोमवार को कांग्रेस के असंतुष्ट कोलिखो पुल के नेतृत्व में 31 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और राज्य में अगली सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उनके साथ कांग्रेस के 19 बागी विधायक और भाजपा के 11 विधायक तथा दो निर्दलीय सदस्य शामिल थे। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
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