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    जया केस में फैसले को टालने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई

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    Updated: Fri, 26 Sep 2014 07:52 PM (IST)

    तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के लिए शनिवार का दिन अहम हो सकता है। उनके खिलाफ अठारह साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के केस में बेंगलूर की विशेष अदालत ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली/चेन्नई। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के लिए शनिवार का दिन अहम हो सकता है। उनके खिलाफ अठारह साल पुराने आय से अधिक संपत्ति के केस में बेंगलूर की विशेष अदालत फैसला सुनाने वाली है। इस बीच, एक वकील ने फैसले की घोषणा टालने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज करते हुए कोई भी दिशा-निर्देश जारी करने से इन्कार कर दिया।

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    फैसले को लेकर राज्य की राजनीति खासकर जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक में खासी बेचैनी है। सबकी निगाहें अब शनिवार को आने वाले फैसले पर टिकी है। न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि फैसले की घोषषणा से कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है, जिस पर पुलिस संभवत: काबू नहीं पा सकेगी।

    पीठ ने कहा, 'सुरक्षा को लेकर आप क्यों चिंतित हैं। सरकार उसका बंदोबस्त करेगी। आपका इस केस से क्या लेना-देना है?' कोर्ट ने कहा कि यदि उन्हें ऐसी कोई आशंका है, तो मुख्यमंत्री सुरक्षा के लिए खुद कोर्ट आ सकती हैं या जिन्हें खतरा महसूस होता है, वे हमारे पास आएंगे।

    जयललिता के खिलाफ उनके पहली बार के मुख्यमंत्रित्व काल में 1991-1996 के बीच आय के ज्ञात स्रोतों से 66 करोड़ रुपये अधिक की संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। इस मामले में पहले भी कई राजनीतिक तथा कानूनी मोड़ आ चुके हैं। केस में जयललिता की करीबी सहयोगी शशिकला नटराजन, उनकी भतीजी इलावरासी तथा भतीजा और त्यजित दत्तक पुत्र सुधाकरन भी आरोपी हैं।

    पांच स्तरीय सुरक्षा से किलेबंदी

    विशेष जज जॉन माइकल डीकुन्हा पाराप्पाना अग्रहारा जेल परिसर में बनाए गए एक अस्थायी कोर्ट में फैसला सुनाएंगे। इस इलाके की पांच स्तरीय सुरक्षा से किलेबंदी की गई है। यह फैसला तमिलनाडु की राजनीति की नई दिशा तय कर सकता है। हालांकि अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं तथा पदाधिकारियों का मानना है कि 'अम्मा' पहले भी बहुत झंझावात झेल चुकी हैं और इससे भी पार पा लेंगी। उनका कहना है कि यह केस द्रमुक ने राजनीतिक बदले की भावना से लादा था।

    दूसरी ओर, विरोधी द्रमुक राज्य की सत्ता पर वापसी के लिए बेकरार है। उसे जयललिता के खिलाफ फैसले का इंतजार है ताकि वह 2016 में होने वाले विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि तैयार करने में इसका इस्तेमाल कर सके।

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