आयकर विभाग ही नहीं सत्येन्द्र जैन ने चुनाव आयोग को भी रखा अंधेरे में
जैन ने जिस साल आयकर विभाग को 5.82 लाख रुपये घाटे की सूचना दी, उसी साल चुनाव आयोग को बताया कि उन्होंने दिल्ली में 96 लाख रुपये की डेढ़ एकड़ जमीन खरीदी है।
नई दिल्ली, हरिकिशन शर्मा। हवाला के जरिए कालाधन सफेद करने वाले दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने न सिर्फ आयकर विभाग बल्कि चुनाव आयोग को भी अंधेरे में रखा। जैन ने आयकर विभाग से अपनी आय छुपाई वहीं चुनाव आयोग को उन कंपनियों के नाम नहीं बताए जिसमें उनकी और उनकी पत्नी पूनम जैन की बड़ी हिस्सेदारी है।
खास बात यह है कि जैन ने जिस साल आयकर विभाग को 5.82 लाख रुपये घाटे की सूचना दी, उसी साल चुनाव आयोग को बताया कि उन्होंने दिल्ली में 96 लाख रुपये की डेढ़ एकड़ जमीन खरीदी है। वहीं अपनी पत्नी पूनम जैन की सालाना आय पांच लाख रुपये से कम दिखाने वाले जैन ने चुनाव आयोग को भेजे हलफनामा में उनसे 20 लाख रुपये लोन लेने का दावा किया।
जैन दिसंबर 2013 और फरवरी 2015 में दो बार दिल्ली विधान सभा चुनाव लड़े लेकिन उन्होंने अपने हलफनामा में यह खुलासा नहीं किया कि हवाला के जरिए पैसा पाने और दिल्ली में बड़े स्तर पर जमीन खरीदने वाली कंपनियों-अकिंचन डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, जे जे आइडियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड और इंडो मेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड में खुद उनकी और पत्नी पूनम जैन की कितनी हिस्सेदारी है। उन्होंने महज यह लिखकर इतिश्री कर ली कि उनके पास कुछ प्राइवेट लिमिटेड तथा कुछ सूचीबद्ध कंपनियों के शेयर हैं लेकिन ये कंपनियां कौन सी हैं, इसका खुलासा उन्होंने नहीं किया।
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इस बारे में जैन से संपर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उन्होंने दैनिक जागरण के ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। जैन ने पहली बार आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने को जब 14 नवंबर 2013 को नामांकन भरा तो हलफनामा में बताया कि उन्होंने 27 मई 2013 को 96 लाख रुपये में दिल्ली के पल्ला गांव में 1.6 एकड़ कृषि भूमि खरीदी है। जैन ने इस पर न तो कोई निर्माण किया और न एक पैसे का निवेश, इसके बावजूद जब चार महीने बाद चुनाव आयोग के पास हलफनामा भेजा तो उसमें इस जमीन की बाजार कीमत 1.5 करोड़ रुपये बतायी। सूत्रों का कहना है कि आखिर चार महीने में जैन की इस जमीन के दाम 50 प्रतिशत कैसे बढ़ गए।
वहीं जैन ने फरवरी 2015 में हुए विधान सभा चुनाव के लिए जब 18 जनवरी 2015 को नामांकन किया तो उसके साथ दाखिल हलफनामा में अपने आयकर रिटर्न का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 2013-14 में 5.82 लाख रुपये का घाटा होने का दावा किया। ऐसे में आयकर अधिकारी इस बात से हैरान हैं कि जिस वर्ष जैन को इतना घाटा हुआ, उस साल उनके पास जमीन खरीदने को 96 लाख रुपये कहां से आए।
आयकर विभाग इस बात की भी जांच कर रहा है कि जैन ने अपने हलफनामा में वित्त वर्ष 2013-14 में उनकी पत्नी की आय महज 1.90 लाख रुपये दिखायी है जबकि उन्होंने उससे 20 लाख रुपये लोन लेने का दावा भी किया है। आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि पूनम जैन ने वर्ष 2009-10 से 2012-13 के दौरान चार साल अपने आयकर रिटर्न में सालाना आय महज 4.8 लाख रुपये प्रति वर्ष दिखायी। उन्होंने 2013-14 मंे भी दो लाख रुपये से कम आय होने का दावा किया।
आयकर विभाग ने जैन के द्वारा चुनाव खाते के तौर पर इस्तेमाल किए गए आइडीबीआइ बैंक के उस खाते की डिटेल भी खंगाली है। जैन के इस खाते में विधान सभा चुनाव 2013 से पहले एक करोड़ रुपये से अधिक राशि आरटीजीएस के माध्यम से आई। उन्हें जे जे आइडियल एस्टेट से 10 लाख रुपये भी मिले।
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