Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ISRO की इस सैटेलाइट की मदद से भारतीय सैनिक सर्जिकल स्ट्राइक में हुए कामयाब

    By Atul GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 30 Sep 2016 09:39 PM (IST)

    इस श्रेणी का पहला सेटेलाइट कार्टोसैट1 इसरो ने 5 मई, 2005 को श्रीहरिकोटा से छोड़ा था। पिछले 22 जून, 2016 को कार्टोसैट 2सी छोड़ा गया।

    नई दिल्ली, जेएनएन। गुलाम कश्मीर में सीमित सैन्य कार्रवाई (सर्जिकल स्ट्राइक) में सेना को अंतरिक्ष में हमारी छलांग से भी मदद मिली। कार्टोसैट श्रेणी के सेटेलाइट से मिले चित्रों ने आतंकियों के कैंप वगैरह को लेकर सटीक जानकारी दी। इससे कमांडो दस्ते को रात के अंधेरे में ऑपरेशन में जरा-सी भी दिक्कत नहीं हुई।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इस श्रेणी का पहला सेटेलाइट कार्टोसैट1 इसरो ने 5 मई, 2005 को श्रीहरिकोटा से छोड़ा था। पिछले 22 जून, 2016 को कार्टोसैट 2सी छोड़ा गया। इसमें लगे कैमरे जमीन के हर इंच के बारे में सूक्ष्म जानकारी भी श्वेत-श्याम फोटो के जरिये वापस भेजते हैं। ये पैंक्रोमैटिक कैमरे हैं जिनका उपयोग दुनिया भर में सेटेलाइट में किया जाता है। इसलिए इसे 'आसमान से धरती पर नजर रखने वाली आंख' भी कहते हैं।

    इस श्रेणी के सेटेलाइट से मिले चित्रों का उपयोग गूगल तक करता है। हालांकि आधिकारिक तौर पर कोई कुछ नहीं कह रहा लेकिन माना जाता है कि कार्टोसैट 2सी से मिले चित्रों का उपयोग रक्षा मंत्रालय भी कर रहा है। सीमा पार के ठिकानों और वहां की गतिविधियों पर निगाह रखने के खयाल से ये चित्र बहुत काम के हैं। दरअसल, ये इच्छित जगह को फोकस करते हुए चित्र और वीडियो भी उपलब्ध कराते हैं। इसलिए किसी जगह के महीन विवरण जुटाना भी आसान हो गया है। ऐसे विवरण के आधार पर ही आतंकियों के ठिकानों को लेकर कोई भ्रम नहीं था। इस श्रेणी के इससे बेहतर सेटेलाइट अमेरिका और इजरायल के पास ही हैं।

    पढ़ें- गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राईक से सदमे में कश्मीरी अलगाववादी

    comedy show banner
    comedy show banner