मिशन 2017: UP में सपा काटेगी अपने 100 से ज्यादा विधायकों के टिकट!
विधानसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए समाजवादी पार्टी अपने मौजूदा विधायकों के भी टिकट काट सकती है। दोबारा सत्ता के लिए सपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
नई दिल्ली, [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। राज्यसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद अब समाजवादी पार्टी में कम से 40 से 45 फीसद विधायकों के टिकट कट सकते हैं। 'मिशन यूपी' के तहत विधानसभा चुनाव में दोबारा सत्ता में आने के लिए समाजवादी पार्टी कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है। पार्टी गैर जिताऊ विधायकों के टिकट काट सकती है। सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए पार्टी यह नुस्खा अपना सकती है।
विधानसभा चुनाव में और मजबूत होकर उभरने के लिए ही सपा के शीर्ष नेताओं ने पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा बहुत पहले ही कर दी है। अब तक कुल 156 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी कर दी है। बिगड़ैल नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में भी शीर्ष नेतृत्व ने कोई कोताही नहीं बरती।
राज्यसभा चुनाव के तत्काल बाद पार्टी अपने उन विधायकों के कामकाज की समीक्षा के साथ उनकी राजनीतिक छवि का आकलन कर रही है, जिन्हें दोबारा चुनाव मैदान में उतारा जाना है। दरअसल, पार्टी संगठन का एक बड़ा धड़ा यह मान रहा है कि मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने चाहिए। ऐसे विधायकों के साथ चुनाव मैदान में उतरना खतरे से खाली नहीं होगा। खासतौर उनके टिकट जरूर काटे जाने चाहिए, जिनकी रिपोर्ट ठीक नहीं पाई गई है।
मायावती और मुलायम एक ही सिक्के के दो पहलू : साक्षी
सत्ता विरोधी लहर का खामियाजा सरकार में रहने वाले दल को उठाना ही पड़ता है। लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लेकर लोगों में नाराजगी नहीं है, जबकि विधायकों व मंत्रियों के कामकाज पर सवाल उठते रहे हैं। इस बात की शिकायत जहां समाजवादी कार्यकर्ता करते रहे हैं, वहीं पार्टी मुखिया मुलायम सिंह उनके प्रदर्शन पर सार्वजनिक रूप से सवाल खड़े किये हैं। क्षेत्र में न जाने और कार्यकर्ताओं के कामकाज को नजरअंदाज करने जैसी शिकायतें आम रही हैं। कार्यकर्ताओं के फीडबैक को पार्टी नेतृत्व अहमियत दे रहा है।
समाजवादी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व आगामी चुनाव में कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है। सूत्रों की मानें तो लगभग एक सौ विधायकों को दोबारा टिकट मिलना मुश्किल हो सकती है। हालांकि ऐसे विधायकों को अपना व्यवहार व अपनी कार्यशैली बदलने का मौका भी दिया गया है। हालांकि उनके भाग्य का फैसला पूरी तरह पार्टी मुखिया 'नेताजी' ही करेंगे।
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