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    केरल में वाम मोर्चे को तगड़ा झटका

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    Updated: Wed, 12 Mar 2014 06:12 PM (IST)

    केरल के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर माकपा को झटका देते हुए रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) से नाता तोड़ते हुए लोकसभा चुनाव-2014 के लिए कांग्रेस नेतृत्व वाले संप्रग का साथ पकड़ लिया है। दरअसल माकपा ने आरएसपी को कोल्लम संसदीय सीट देने

    दैनिक मातृभूमि [पी. बसंत, विशेष संवाददाता]। केरल के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर माकपा को झटका देते हुए रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी ने वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) से नाता तोड़ते हुए लोकसभा चुनाव-2014 के लिए कांग्रेस नेतृत्व वाले संप्रग का साथ पकड़ लिया है। दरअसल माकपा ने आरएसपी को कोल्लम संसदीय सीट देने से इन्कार कर दिया था। इसी के बाद से दोनों दलों में खटास पैदा हो गई थी। माकपा इस सीट पर 1999 से चुनाव में ताल ठोक रही थी।

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    आरएसपी ने कोल्लम संसदीय सीट से पूर्व सांसद एनके प्रेमचंद्रन को उतारने का फैसला किया है, जिसे संप्रग ने समर्थन देने की घोषणा की है। एलडीएफ से गठबंधन तोड़ने की घोषणा करते हुए आरएसपी ने माकपा पर केरल में लगातार उसकी सीटें कम करने का आरोप लगाया। माकपा आरएसपी के अलग होने के फैसले से भौंचक्की रह गई है। माकपा ने अपने पोलित ब्यूरो सदस्य एमए बेबी को कोल्लम सीट से उतारने का फैसला किया था। इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी, केरल कांग्रेस अध्यक्ष वीएम सुधीरन और गृह मंत्री रमेश चेन्निथला ने आरएसपी नेता एए अजीज व एनके प्रेमचंद्रन से मुलाकात की। इस दौरान आरएसपी के संप्रग में शामिल होने और कोल्लम सीट पर उनके प्रत्याशी को समर्थन के मसले पर चर्चा हुई। कांग्रेस ने समर्थन के एवज में सिर्फ एक शर्त रखी कि अगर प्रेमचंद्रन जीत जाते हैं तो वह संप्रग को अपना पूरा समर्थन देंगे, जिसे आरएसपी ने तत्काल स्वीकार कर लिया।

    आरएसपी का केंद्रीय नेतृत्व वाम मोर्चा में है और तीसरे मोर्चे के मुद्दे पर सक्रिय है। आरएसपी का राज्य नेतृत्व कह रहा है कि पार्टी केरल में राजनीतिक हालात के मुताबिक फैसला लेगी। एलडीएफ को छोड़ने का फैसला लेने के लिए बुलाई गई बैठक में आरएसपी के राष्ट्रीय महासचिव टीजे चंद्रचूड़न भी मौजूद थे। प्रेमचंद्रन ने 1996 में पूर्व केंद्रीय मंत्री एस. कृष्णकुमार को हराते हुए कोल्लम सीट एलडीएफ के लिए जीती थी। इसके बाद 1998 में भी उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि इसी साल आरएसपी की राज्य इकाई में दरार आई और माकपा ने 1999 चुनाव में सीट पर कब्जा कर लिया। तब माकपा ने दलील दी थी कि अगर प्रेमचंद्रन इस सीट से लड़ेंगे तो विरोधी गुट को उन्हें दबाव में लेने का मौका मिल जाएगा। काफी जोर आजमाइश के बाद भी आरएसपी को कोल्लम सीट छोड़नी पड़ी। इसके बाद 2004 लोकसभा चुनाव में भी माकपा के प्रत्याशी ने इस सीट पर जीत दर्ज की। पिछले आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी एन. पीतांबर ने माकपा के पी. राजेंद्रन को शिकस्त दे दी। इसी कारण आरएसपी कोल्लम सीट पर अपना प्रत्याशी उतारने की मांग कर रही थी, लेकिन बात नहीं बन पाने पर उसने संप्रग से गठबंधन का फैसला कर लिया।

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