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    रोहिंग्या मुलमान राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा, इन्हें वापस भेजा जाए- गोविन्दाचार्य

    By Ravindra Pratap SingEdited By:
    Updated: Sat, 09 Sep 2017 08:34 AM (IST)

    गोविन्दाचार्य की अर्जी में कहा गया है कि देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाए।

    रोहिंग्या मुलमान राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा, इन्हें वापस भेजा जाए- गोविन्दाचार्य

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के प्रणेता केएन गोविन्दाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर रोहिंग्या मुसलमानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उन्हें वापस भेजने की मांग की है। गोविन्दाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि पहले से लंबित दो रोहिंग्या मुलमान शरणार्थियों की याचिका में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए। रोहिंग्या मुलसमानों की रिट याचिका पर कोर्ट सोमवार को सुनवाई कर सकता है।

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    गोविन्दाचार्य की अर्जी में कहा गया है कि देश में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर उन्हें वापस भेजा जाए। ये लोग न सिर्फ राष्ट्रीय संसाधनों पर बोझ हैं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को भी गंभीर खतरा हैं। याचिका में कहा गया है कि भारत में बढ़ती जनसंख्या की समस्या देश के संसाधनों पर बोझ है। दिल्ली में लोग कूड़े के ढेर के नीचे दब कर मर रहें हैं और रोहिंग्या केन्द्र सरकार से मूलभूत सुविधाएं देने की मांग कर रहे हैं ये भारतीयों के जीवन के मौलिक अधिकार का हनन है।

    अर्जी में कहा गया है कि ये जानीमानी बात है कि अलकायदा और पाकिस्तान की कट्टेरपंथी ताकतें रोहिंग्या समुदाय को आतंकवाद और जेहाद के लिए प्रयोग कर रही हैं। अगर रोहिंग्या की मांग स्वीकार की गई तो देश का फिर से विभाजन हो सकता है। अर्जी में कहा गया है कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी भेजी है कि वे गैरकानूनी रूप से रह रहे रोहिंग्या की पहचान कर उन्हें वापस भेजें, क्योंकि ये लोग राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हैं। गोविन्दाचार्य के अनुसार सरकार ने ये फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया है बल्कि सुरक्षा एजेंसियों से सलाह मशविरे के बाद लिया है।

    कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार के फैसले माना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। इसे देखते हुए गैरकानूनी रोहिंग्या को भारत में रहने की इजाजत कैसे दी जा सकती है। रोहिंग्या को भारत में रहने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है उन्हें वापस भेजा जाना चाहिए और उन्हें वापस भेजने से किसी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं होता। गोविंदाचार्य के अलावा चेन्नई के एक गैर सरकारी संगठन इंडिक कलेक्टिव ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की मांग की गई है।

    मालूम हो कि दो रहिंग्या शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उन्हें वापस भेजे जाने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने अपनी अर्जी में स्वयं को शरणार्थी बताते हुए वापस भेजना अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन बताया है। सुप्रीम कोर्ट उनकी अर्जी पर 11 सितंबर को सुनवाई कर सकता है। उधर दूसरी ओर रोहिंग्या के खिलाफ दाखिल गोविंदाचार्य व दूसरे संगठन की अर्जी में उन्हें भी पक्षकार बनाते हुए सुने जाने की कोर्ट से मांग की गई है।

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