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    वाड्रा-डीएलएफ डील पर कूटनीतिक हुए खेमका

    By Edited By:
    Updated: Sun, 18 Aug 2013 10:29 PM (IST)

    वरिष्ठ आइएएस अशोक खेमका ने राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदा रद करने संबंधी अपनी कार्रवाई का कुछ बिंदुओं पर बचाव किया है तो कुछ पर अपना पुराना स्टैंड काय ...और पढ़ें

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    चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो। वरिष्ठ आइएएस अशोक खेमका ने राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ जमीन सौदा रद करने संबंधी अपनी कार्रवाई का कुछ बिंदुओं पर बचाव किया है तो कुछ पर अपना पुराना स्टैंड कायम रखा है। दिल्ली में एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में खेमका ने जमीन सौदे में इस्तेमाल किए गए वाड्रा की कंपनी के चेक की वैधता पर सीधे कोई टिप्पणी नहीं की मगर पूरे मामले की आपराधिक जांच की हिमायत जरूर की। उन्होंने कहा कि 'अगर आपको कार्रवाई करनी है तो शीर्ष स्तर से कीजिए। पर इसके लिए काफी हिम्मत की जरूरत होगी।'

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    अशोक खेमका ने कहा कि हरियाणा सरकार को भेजे अपने जवाब में जमीन सौदे से जुड़े सुबूत उन्होंने खुद जुटाए हैं। उन्होंने यह कभी नहीं कहा कि जमीन सौदे के दौरान प्रस्तुत किए गए चेक वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी के थे। उनके अनुसार इस मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और अगर आपराधिक मामला बनता है तो न्यायालय खुद सजा तय करेगा। खेमका ने माना कि शिकोहपुर भूमि सौदे के लिए आवेदन के साथ सौंपे गए दस्तावेज में गलत जानकारी मुहैया कराई गई थी। यह पूछे जाने पर कि तबादला हो जाने के बावजूद किस अधिकार से उन्होंने जमीन सौदे का इंतकाल रद किया तो वरिष्ठ आइएएस ने कहा कि वह ऐसा करने के लिए पूरी तरह से अधिकृत थे। बेशक उनका तबादला 11 अक्टूबर, 2012 को हो गया था लेकिन 15 अक्टूबर को अन्य विभाग में चार्ज लेने से पहले तक उनके पास ऐसा करने की पूरी शक्तियां थीं। अगर डीएलएफ और वाड्रा की कंपनियों को उनके आदेशों से आपत्ति थी तो वे उन्हें रद कराने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती थीं।

    खेमका ने इंटरव्यू के दौरान बार-बार दोहराया कि वाड्रा-डीएलएफ डील में हुए घोटाले का सच उजागर करने के लिए पूरे मामले की आपराधिक जांच बहुत जरूरी है।

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