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    यूपी में रालोद-सपा ने खेला एयरपोर्टो पर दांव

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    Updated: Thu, 20 Mar 2014 07:57 AM (IST)

    चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के सात उपेक्षित हवाई अड्डों के विकास की अजित सिंह की मुहिम को समर्थन देकर अखिलेश सरकार ने राज्य में समाजवादी पार्टी के ढहते आधार को बचाने की कोशिश की है। जबकि अजित के राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका लाभ मिल सकता है। दिसंबर 2011 में केंद

    नई दिल्ली, [संजय सिंह]। चुनाव से ठीक पहले उत्तर प्रदेश के सात उपेक्षित हवाई अड्डों के विकास की अजित सिंह की मुहिम को समर्थन देकर अखिलेश सरकार ने राज्य में समाजवादी पार्टी के ढहते आधार को बचाने की कोशिश की है। जबकि अजित के राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका लाभ मिल सकता है।

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    दिसंबर 2011 में केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री बनने के बाद से ही अजित सिंह ने उत्तर प्रदेश के उपेक्षित व अविकसित हवाई अड्डों के विकास की मुहिम छेड़ दी थी। मगर अखिलेश सरकार इसमें रोड़े अटकाती रही। लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही उसे महसूस हुआ कि इसका उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। लिहाजा उसने न केवल अजित की मुहिम को समर्थन दे दिया, बल्कि एयरपोर्ट अथारिटी के साथ बाकायदा समझौता भी कर लिया। इससे उत्तर प्रदेश में सात छोटे हवाई अड्डों के विकास का रास्ता साफ हो गया है। जहां मेरठ, मुरादाबाद और बरेली एयरपोर्ट के विकास की उम्मीद से अजित सिंह को लाभ मिलेगा, वहीं सपा को लगता है कि कानपुर, इलाहाबाद, फैजाबाद और आगरा एयरपोर्ट के विकास का रास्ता साफ कर वह कुछ हद तक अपना खिसकता वोटबैंक बचा सकेगी।

    अजित सिंह ने शुरू में अपने बेटे जयंत के संसदीय क्षेत्र मथुरा में हवाई अड्डे के विकास के लिए अखिलेश सरकार को मनाने की कोशिश की थी। परंतु आगरा के निकट होने का तर्क देकर अखिलेश ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद अजित ने आगरा में ही सिविल एन्क्लेव का विस्तार करने के लिए जमीन मांगी। इस पर भी अखिलेश सरकार कुंडली मारे बैठी रही। फिर अजित ने मेरठ में डिफेंस एयरपोर्ट को विकसित करने के लिए आवाज बुलंद की। क्षेत्रवाद का आरोप न लगे इसके लिए यूपी के अन्य डिफेंस एयरपो‌र्ट्स जैसे कानपुर, फैजाबाद को भी शामिल कर लिया। मगर राज्य सरकार ने कान नहीं दिए।

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    आखिरकार अजित सिंह ने कहना शुरू कर दिया कि अखिलेश सरकार यूपी में छोटे हवाई अड्डों का विकास अवरुद्ध किए हुए है। केंद्र सरकार हवाई अड्डों का विकास करना चाहती है, लेकिन राज्य सरकार न तो जमीन सौंप रही है न एयरपोर्ट। अंतत: चुनाव से पहले अखिलेश सरकार को गलती समझ में आ गई। पिछले महीने हुए समझौते के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने मेरठ, मुरादाबाद और फैजाबाद एयरपोर्ट अथारिटी को सौंप दिए हैं। जबकि आगरा, इलाहाबाद, बरेली और कानपुर के सिविल एन्क्लेव की खातिर जमीन देने को तैयार हो गई है। इस तरह रालोद और सपा दोनों ने अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र के मतदाताओं के आगे चुनावी चारा डालने की कोशिश की है। यह वक्त बताएगा कि मतदाता इसे पसंद करते हैं या नहीं। वैसे अजित के उड्डयन मंत्री रहते लखनऊ और वाराणसी एयरपोर्टो की दशा में सुधार हुआ है।