वेतन वृद्धि के साथ अब आपकी कमर तोड़ सकती है महंगाई
वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि एक बड़े मध्यम वर्ग के वेतन में भारी वृद्धि से महंगाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अर्थविद भले ही वेतन आयोग की सिफारिशों की वजह से देश में महंगाई बढ़ने के आसार के साथ जोड़ कर देख रहे हो लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली का गणित अलग है। वित्त मंत्रालय 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने को सीधे तौर पर आर्थिक विकास दर से जोड़ कर देख रहा है। इसके लिए अभी वेतन आयोग और कुछ महीनों बाद सामान व सेवा शुल्क (जीएसटी) कानून का संयोग आजमाया जाएगा। वित्त मंत्रालय का मानना है कि ये दोनों मिल कर तीन से पांच वर्षो तक देश की अर्थव्यवस्था को आठ से दस फीसद की रफ्तार दे सकते हैं।
वैसे वित्त मंत्री अरुण जेटली भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि एक बड़े मध्यम वर्ग के वेतन में भारी वृद्धि से महंगाई की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन इसमें अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाने वाले तत्व ज्यादा हैं। मसलन, लोगों के पास निवेश के लिए अतिरिक्त राशि होगी और सामान्य मांग बढ़ेगी जो विकास दर को मजबूती देगा।
जेटली के मुताबिक, 'बाजार में ज्यादा पैसा जाए और इसका महंगाई पर असर न हो ऐसा नहीं हो सकता।' हालांकि सरकार को भरोसा है कि इस बार छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने के बाद की स्थिति दोहराई नहीं जाएगी। छठे वेतन आयोग की रिपोर्ट को वर्ष 2006 से लागू किया गया था और उसके बाद कई वर्षो तक महंगाई की दर दहाई में रही थी। एसबीआइ की शोध इकाई की तरफ से जारी रिपोर्ट संभावना जताती है कि महंगाई बढ़ेगी लेकिन उसका असर बहुत ज्यादा दिनों तक नहीं रहेगा। क्योंकि अर्थव्यवस्था पर आज के फैसले से कई फायदे होंगे। एसबीआइ के मुताबिक बैंकों की जमा राशि ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर है। अब इसमें इजाफा होने के आसार हैं।
अर्थविदों का कहना है कि यह सिर्फ एक करोड़ लोगों के वेतन वृद्धि की बात नहीं है बल्कि केंद्र सरकार के बाद विभिन्न राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी का फैसला करती हैं। केंद्र व राज्यों को मिला दिया जाए तो साढ़े तीन करोड़ मध्यम वर्ग के पास अच्छी खासी राशि आएगी। यह अर्थव्यवस्था को नई गति दे सकती हैं। रेटिंग एजेंसी इकरा का कहना है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक विकास दर के 7.9 फीसद के पार कर जाने के मजबूत आसार हैं।

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