गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर संसदीय समिति में विद्रोह
कांग्रेस सदस्यों ने 2004 से अब तक पाक के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक का ब्यौरा संसदीय समिति के समक्ष पेश करने की मांग की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के मसले को आखिर समय में बैठक के एजेंडा से हटाने के रक्षा मंत्रालय के फैसले का जबरदस्त विरोध करते हुए रक्षा मंत्रालय से संबंधित संसदीय समिति में शामिल कांग्रेस सदस्यों ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया है।
सर्जिकल स्ट्राइक के साथ सेना के स्पेशल फोर्स के पास हथियार और गोला-बारूद की भारी कमी के मुद्दे को भी एजेंडा से बाहर रखने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। साथ ही कांग्रेस सदस्यों ने रक्षा मंत्रालय से 2004 से अब तक पाकिस्तान के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक का ब्यौरा संसदीय समिति के समक्ष पेश करने की मांग की है।
रक्षा मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति की शुक्रवार को हो रही बैठक से पहले इसमें शामिल कांग्रेस के दो वरिष्ठ सदस्यों अंबिका सोनी और मधुसूदन मिस्त्री ने आधिकारिक बयान जारी कर एजेंडा बदलने का खुला विरोध किया है। इन दोनों ने संयुक्त बयान में कहा है कि 14 अक्टूबर की बैठक से ठीक पहले सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में सदस्यों की ब्रीफिंग के एजेंडे को हटा दिया गया है। उनका कहना है कि रक्षा मंत्रालय के आला अधिकारियों के कहने पर अंतिम क्षणों में एजेंडा बदला गया है और ऐसा पहले भी किया गया था।
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अंबिका और मिस्त्री का कहना है कि संसदीय समिति को सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में उसी तरह जानकारी दी जानी चाहिए जैसे विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाकर दी गई थी। उनके अनुसार सांसद भी गोपनीयता के शपथ से बंधे होते हैं और इसके बावजूद सर्जिकल स्ट्राइक की जानकारी नहीं देने का रूख सांसदों पर अविश्र्वास करने के बराबर है जो उन्हें कतई स्वीकार नहीं है। इसलिए उनकी मांग है कि समिति की बैठक पहले तय एजेंडे के हिसाब से हो ताकि पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक करने वाले सेना के स्पेशल फोर्स के पास हथियारों की कमी के मुद्दे पर भी चर्चा की जा सके। उनके अनुसार मीडिया के जरिए स्पेशल फोर्स के पास हथियारों की कमी होने की उन्हें जानकारी मिली है जो चिंताजनक है।
इन दोनों कांग्रेस सदस्यों के अनुसार रक्षा मंत्रालय ने आपात स्थिति की चुनौतियों से निपटने की तैयारी के मुद्दे कई बार समिति की बैठक में उठाए जाने के बावजूद रक्षा उपकरणों व हथियारों की खरीद में देरी का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया है। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया की पहल भी अभी तक नाकाम रही है।
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उन्होंने कहा है कि अब वक्त आ गया है कि रक्षा महकमे के अधिकारियों का रवैया संसदीय समिति को लेकर बदला जाए ताकि कई कमियों और चुनौतियों से जूझ रही हमारी सेनाओं को सीमा पर दुश्मन के मुकाबले के लिए मुस्तैद बनाया जा सके।
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