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    पठानकोट एयरबेस की सुरक्षा में है कई खामियां: रिपोर्ट

    By Lalit RaiEdited By:
    Updated: Tue, 20 Sep 2016 11:45 AM (IST)

    पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा बनायी गई पैनल ने सुरक्षा तैयारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। पठानकोट और उड़ी में कई समानताएं हैं। इस साल के शुरुआती महीने में आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस को निशाना बनाया था। करीब आठ महीने बाद जगह बदल गई और इस दफा आतंकियों ने उड़ी में सेना के मुख्यालय पर आत्मघाती हमला हुआ। दोनों मामले में जवानों की शहादत हुई, दहशतगर्द मारे गए और एक ही गुनहगार जैश का नाम सामने आया।

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    पठानकोट पर हमले के बाद देश को ये भरोसा मिला कि अब देश की बाह्य और आंतरिक सुरक्षा को किसी तरह का खतरा नहीं होगा। पाकिस्तान से लगी भारतीय सीमा की निगहबानी पुख्ता की जाएगी। लेकिन सेना द्वारा गठित ट्राइ सर्विस की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है। एयर वाइस चीफ की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंप दी थी। रिपोर्ट में साफ तौर पर ये इशारा किया गया है कि पठानकोट हमले के बाद जिस तरह के सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए थे। वो जमीन पर कहीं दिखता ही नहीं है।

    उड़ी हमले के बाद पठानकोट एयरबेस पर अलर्ट

    एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक एक्स आर्मी वाइस चीफ फिलिर कैंपोस ने कई कमियों की तरफ इशारा किया है। रिपोर्ट में सैन्य ठिकानों की सुरक्षा के लिए कई तरह के सुझाव दिए गए थे। रिपोर्ट में ये कहा गया है कि जब तक फिदायीन हमलों के संबंझ में सैन्य ठिकानों से जुड़े अधिकारियों और जवानों की जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाएगी तब तक इस तरह के खतरे मंडराते रहेंगे।

    रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि सैन्य ठिकानों के प्रवेश द्वार पर हमारे जवान इंसास राइफलों के साथ सुरक्षा में लगे रहते हैं। जो आतंकियों के एके-47 का सामना कर पाने में सक्षम नहीं हैं। ज्यादातर संतरियों और क्विक रिस्पांस टीम के पास बुलेट प्रूफ जैकेट तक नहीं हैं। पैनल ने सुझाव दिया था कि सैन्य ठिकानों के प्रवेश द्वार पर डिटेक्शन सिस्टम को तत्काल लगाने की जरूरत है।

    कैंपोस पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि हम आतंकी हमलों से निपटने के मामले में कहीं न कहीं ढील बरतते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें खुफिया जानकारियों पर अच्छी तरह से काम करने की जरूरत है। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई अंतिम विकल्प होता है। लेकिन दुख की बात है कि खुफिया जानकारियों का सही ढंग से विश्लेषण नहीं किया जा रहा है।

    रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि पैनल के रिपोर्ट के अनुसार कुछ कदम उठाए गए हैं। देश के 54 एयरबेस की पुख्ता सुरक्षा के लिए 8 हजार करोड़ की एक योजना अपने अंतिम चरण में है। कैंपोस पैनल ने अपने सुझाव में कहा है कि आतंकी हमलों से निपटने के लिए आर्मी, एयरफोर्स और नेवी को एक समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। आतंकी हमलों से पहले और बाद की चुनौती से निपटने के लिए खुफिया जानकारियों को साझा करने के साथ उन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है।