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आम और खास का फर्क मिटा, पीएम मोदी बोले हर भारतीय VIP

मोदी कैबिनेट ने बुधवार को वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ एक बड़ा फैसला लिया है।

By Kishor JoshiEdited By: Published: Wed, 19 Apr 2017 02:35 PM (IST)Updated: Wed, 19 Apr 2017 09:48 PM (IST)
आम और खास का फर्क मिटा, पीएम मोदी बोले हर भारतीय VIP
आम और खास का फर्क मिटा, पीएम मोदी बोले हर भारतीय VIP

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बढ़ते वीआइपी कल्चर पर अंकुश लगाते हुए मोदी सरकार ने सभी नेताओं, जजों तथा सरकारी अफसरों की गाडि़यों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया है। इनमें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री तथा सभी सरकारी अफसरों के वाहन शामिल हैं। अब केवल एंबुलेंस, फायर सर्विस जैसी आपात सेवाओं तथा पुलिस व सेना के अधिकारियों के वाहनों पर नीली बत्ती लगेगी। यह फैसला पहली मई से लागू होगा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले के बाद एक ट्वीट भी किया। उन्होंने कहा कि हर भारतीय खास है। हर भारतीय वीआईपी है।

इस असाधारण फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'इस ऐतिहासिक निर्णय में कैबिनेट ने आपात सेवाओं को छोड़ सभी वाहनों से बीकन बत्तियां हटाने का निश्चय किया है। इसके लिए संबंधित नियमों में संशोधन किया जाएगा।' बहरहाल केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस फैसले की अधिसूचना जनता से राय के बाद जारी की जाएगी।

ध्यान रहे कि लगभग दस दिन पूर्व बंग्लादेश की प्रधानमंत्री की अगवानी करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना किसी रूट के नियमित ट्रैफिक में एअरपोर्ट गए थे। शायद उस वक्त तक उन्होंने वीआइपी कल्चर पर अंकुश की शुरूआत का निर्णय ले लिया था। यही कारण है कि वह कैबिनेट की बैठक में आए तो अपनी ओर से ही यह निर्णय सुना दिया।

गौरतलब है कि सुप्रीमकोर्ट ने भी अनावश्यक लाल बत्तियां हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने लाल बत्ती की संस्कृति को हास्यास्पद व ताकत का प्रतीक बताया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कारों से लाल बत्ती हटाने का ऐलान कर इसे मजबूती प्रदान करने का काम किया।

2014 में कोर्ट ने पुन: लाल बत्ती को स्टेटस सिंबल बताते हुए संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों तथा एंबुलेंस, फायर सर्विस, पुलिस तथा सेना को छोड़ किसी को भी लाल बत्ती लगाने की जरूरत नहीं है। बाद में 2015 में सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को विशिष्ट व्यक्तियों की सूची में भारी काट-छांट करने का निर्देश दिया था। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने फैसले को ऐतिहासिक व लोकतांत्रिक बताते हुए कहा, 'यह सरकार आम लोगों की सरकार है। इसीलिए हमने लाल बत्ती और साइरन वाली वीआइपी कल्चर को खत्म करने का फैसला किया है। इस फैसले से जनता में मोदी सरकार के प्रति भरोसा और बढ़ेगा।

'जेटली के मुताबिक फैसले के तहत 1998 की मोटर वाहन नियमावली के नियम 108 (1-तृतीय) तथा 108 (2) में संशोधन किया जाएगा। नियम 108 (1-तृतीय) के तहत केंद्र व राज्य सरकारों को वाहनों में लाल बत्ती लगाने योग्य विशिष्ट व्यक्तियों की सूची जारी का अधिकार है। जबकि 108 (2) के तहत राज्यों को नीली बत्ती लगाने योग्य अधिकारियों की सूची जारी करने का अधिकार दिया गया है।

बुधवार को फैसले के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्रियों ने अपनी गाडि़यों से लाल बत्ती हटाना शुरू कर दिया था। गडकरी ने सबसे पहले अपनी कार की लाल बत्ती हटाई। इसके बाद कई अन्य मंत्रियों को भी ऐसा ही करते देखा गया। गिरिराज सिंह ने बाकायदा पोज देकर अपनी कार की बत्ती हटाई। उमा भारती को भी बत्ती हटाते देखा गया।मंत्रियों को भी कार में साइरन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है। केवल पायलट पुलिस वाहन ही इसका प्रयोग कर सकते हैं। अब जो भी उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि अधिसूचना जारी करने से पूर्व इस पर जनता की राय ली जाएगी।

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पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ लालबत्ती का इस्तेमाल पहले ही छोड़ चुके हैं। आमतौर पर वीआईपी रूट के दौरान पुलिस बैरिकेट्स लगा देती है, और कई जगह का ट्रैफिक रोक देती है।जिसकी वजह से आम लोगों को काफी दिक्कत होती है। अप्रैल की शुरुआत में एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें एक एम्बुलेंस को पुलिस ने रोक दिया था। एंबुलेंस में घायल बच्चे को ले जाया जा रहा था।

गौरतलब है कि लंबे समय से सड़क परिवहन मंत्रालय में इस मुद्दे पर काम चल रहा था। इससे पहले पीएमओ ने इस पर चर्चा के लिए एक बैठक बुलाई थी। पीएमओ ने पूरे मामले पर कैबिनेट सेक्रटरी सहित कई बड़े अधिकारियों से चर्चा की थी। इसमें विकल्प दिया गया था कि संवैधानिक पदों पर बैठे 5 लोगों को ही इसके इस्तेमाल का अधिकार हो। इन पांच पदों  में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और लोकसभा स्पीकर शामिल हों, हालांकि पीएम ने किसी को भी रियायत न देने का फैसला किया था।

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