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    राष्ट्रपति शासन की अटकलों के बीच उत्तराखंड में बागी MLA अयोग्य करार

    By Manoj YadavEdited By:
    Updated: Sun, 27 Mar 2016 09:37 AM (IST)

    अब विधानसभा में 61 सीटों पर जोड़ तोड़ की गणित चलेगी। इसके लिए रावत को अब 31 सीटों के साथ बहुमत मिल जाएगा। ...और पढ़ें

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    देहरादून/नई दिल्ली। उत्तराखंड में सियासी ड्रामा जारी है। शनिवार को दिन भर भारी गहमागहमी रही, वहीं देर रात विधानसभा अध्यक्ष ने हरीश रावत सरकार से बगावत करने वाले 9 कांग्रेसी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया। यह फैसला स्पीकर गोविंद सिंह कुजवाल ने उस समय लिया, जब उत्तराखंड संकट पर राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट की आपात बैठक ले रहे थे।

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    नौ विधायकों के अयोग्य करार होने का मसत है कि अब हरीश रावत को बहुमत साबित करने के लिए केवल 31 विधायकों का साथ चाहिए होगा। सोमवार को हरीश रावत की सदन में परीक्षा है। अब विधानसभा में 61 सीटों पर जोड़ तोड़ की गणित चलेगी। इसके लिए रावत को अब 31 सीटों के साथ बहुमत मिल जाएगा। जिसके लिए अब उसे केवल चार और विधायकों का साथ चाहिए होगा। फिलहाल कांग्रेस के पास 27 सीटें हैं।

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    शनिवार को क्या-क्या हुआ

    • कांग्रेस के बागी विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस कर एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो दिखाया। इसमें मुख्यमंत्री हरीश रावत बागी विधायकों को मनाने के लिए करोड़ों रुपये के लेन-देन के प्रस्ताव पर राजी होते दिखाई देते हैं।
    • कांग्रेस के बागी नेता हरक सिंह रावत ने मुख्यमंत्री का वीडियो दिखाया, जिसमें वह एक व्यक्ति से विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए धन के लेन-देन की बात कर रहे हैं। हरक सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री विधायकों को 15-15 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश कर रहे हैं।
    • इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
    • राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद विजयवर्गीय ने कहा-"अब हरीश रावत को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। आज के स्टिंग ऑपरेशन के बाद तो यह और स्पष्ट हो गया है। अब किसी विश्वास और अविश्वास मत की जरूरत ही नहीं रह गई है। वह अल्पमत को बहुमत में बदलने के लिए प्रजातंत्र की हत्या कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष के पद का दुरुपयोग कर विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।"
    • शनिवार को असम के दिनभर के चुनावी दौरे के बाद रात में दिल्ली लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट की आपात बैठक बुला ली। माना जा रहा है कि बैठक के दौरान उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के विकल्प पर भी गंभीरता से विचार हुआ।
    • करीब डेढ़ घंटे तक चली कैबिनेट की बैठक के दौरान राज्यपाल की रिपोर्ट पर भी विचार किया गया। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रपति शासन पर सरकार ने कोई निर्णय अभी नहीं लिया है। लेकिन इस मसले पर विस्तृत चर्चा के लिए रविवार को भी कैबिनेट बुलाई जा सकती है।
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