डिजिटल सौदों की लागत कम करने की कोशिश में आरबीआइ
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केवी थॉमस की अध्यक्षता वाली पीएसी की शुक्रवार को हुई बैठक में पटेल के साथ डिप्टी गवर्नर आर गांधी और रिजर्व बैंक के अन्य वरिष्ठ ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों में नकदी की स्थिति में सुधार के बावजूद रिजर्व बैंक डिजिटल पेमेंट पर आने वाली लागत को कम करने की कोशिश कर रहा है। संसद की लोक लेखा समिति के सदस्यों के तीखे सवालों के हमले के बीच रिजर्व बैंक के गवर्नर डॉ. उर्जित पटेल ने बताया कि जल्दी ही देश में नकदी की स्थिति सामान्य हो जाएगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केवी थॉमस की अध्यक्षता वाली पीएसी की शुक्रवार को हुई बैठक में पटेल के साथ डिप्टी गवर्नर आर गांधी और रिजर्व बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी पेश हुए। सूत्रों के मुताबिक वित्त पर संसद की स्थायी समिति की बैठक की भांति इसमें भी संसद सदस्यों ने पटेल से देश में नकदी की स्थिति से लेकर डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने लिए उठाए जा रहे कदमों पर तीखे सवाल किए।
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रिजर्व बैंक गवर्नर को सवालों का जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया था। हालांकि बैठक मौद्रिक व कर्ज नीति की समीक्षा को लेकर बुलायी गई थी। लेकिन सूत्र बताते हैं कि बैठक में नोटबंदी का मुद्दा हावी रहा।
डिजिटल पेमेंट की लागत कम करने के सवाल पर रिजर्व बैंक की तरफ से कहा गया कि इस बारे में सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श किया है। रिजर्व बैंक ने समिति को बताया कि बैंकों और पेमेंट गेटवे के साथ लागत कम करने के लिए ट्रांजैक्शन शुल्क से लेकर अन्य सभी तरह के मुद्दों पर बातचीत हो रही है।
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सूत्रों ने बताया कि पटेल ने समिति को सूचित किया कि देश में नकदी की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। हालांकि यह स्वीकार किया कि दूरदराज के इलाकों में कुछ दिक्कत बनी हुई है। लेकिन रिजर्व बैंक ने भरोसा दिया कि जल्दी ही इसे भी दूर कर लिया जाएगा।
जहां तक नोटबंदी के अर्थव्यवस्था के विकास पर असर का सवाल है पटेल ने कहा कि अल्प अवधि में इसका असर दिख सकता है। लेकिन मध्यम और लंबी अवधि में सरकार का यह कदम अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा।
बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में थामस ने कहा कि समिति की अगली बैठक 10 फरवरी को होगी। इस बैठक में समिति वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेगी। थामस ने कहा कि अगली बैठक के बाद यदि आवश्यकता हुई तो रिजर्व बैंक के गवर्नर को फिर से बुलाया जा सकता है।
लगभग चार घंटे चली बैठक में सदस्यों ने सहकारी बैंकों समेत तमाम बैंकों में अचानक जमा हुई भारी धनराशि पर भी रिजर्व बैंक अधिकारियों से सवाल किए। उधर समिति को सौंपे लिखित जवाबों के मुताबिक रिजर्व बैंक अभी तक इस बात की जानकारी मुहैया नहीं करा पाया है कि 500 और 1000 रुपये के कितने पुराने नोट चलन में थे और कितने बैंकिंग सिस्टम में जमा हुए हैं। रिजर्व बैंक ने अपने जवाब में कहा है कि इसकी गिनती अभी भी की जा रही है।

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