भारी हंगामे के बीच राज्य सभा में तीन बिल मिनटों में पास
लंबे गतिरोध के बाद तीन बिल पारित होने के साथ सोमवार को राज्यसभा में विधायी कामकाज का आगाज हुआ। इनमें महत्वपूर्ण अनुसूचित/जनजाति (उत्पीड़न रोकथाम) संशोधन विधेयक के अलावा संबंधित दो विनियोग विधेयक शामिल हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली।लंबे गतिरोध के बाद तीन बिल पारित होने के साथ सोमवार को राज्यसभा में विधायी कामकाज का आगाज हुआ। इनमें महत्वपूर्ण अनुसूचित/जनजाति (उत्पीड़न रोकथाम) संशोधन विधेयक के अलावा संबंधित दो विनियोग विधेयक शामिल हैं।
हालांकि सहमति के बावजूद विपक्षी दलों ने और विधेयक पारित कराने की सरकार की मांग नहीं मानी तथा बाढ़, महंगाई, अरुणाचल जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए अड़ गए। शुक्रवार को सभापति के साथ हुई बैठक में विपक्षी दलों ने प्रमुख विधेयक पारित कराने की हामी भरी थी। लेकिन सोमवार को चार स्थगनों के बाद जब दो बजे सदन की कार्यवाही पुन: प्रारंभ हुई तो विपक्ष ने किशोर न्याय बिल को पूरक कार्यवाही में लेने के सरकार के प्रयास की आलोचना की।
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नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सरकार मसले को उलझा रही है। हमने एससीएसटी बिल पारित कराने को कहा था। लेकिन मीडिया के दबाव में सरकार इसे अभी लाना चाहती है। वह दिखाना चाहती है कि उसने बिल पेश कर दिया है, लेकिन विपक्ष रोक रहा है। यह विपक्ष को शर्मसार करने की कोशिश है। इस बिल को मंगलवार को शुरुआत में लाया जा सकता है।इसके बाद उप सभापति पीजे कुरियन की अनुमति से एससी/एसटी बिल को सदन ने बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया। पार्टी के कहने पर कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने संशोधनों पर जोर नहीं दिया। इसी के साथ रक्षा, पेंशन व स्वच्छ भारत मिशन से संबंधित 56,256.32 करोड़ रुपये की अतिरिक्त अनुपूरक अनुदान मांगों वाले दो विनियोग विधेयक भी बिना चर्चा के पारित हो गए। इस बीच तृणमूल नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह उल्लेख जरूरी है कि बिल बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से पारित हुए। इस पर कुरियन ने कहा कि विरोध का प्रश्न कहां है। यहां तो ठंडी बयार बह रही है।
इसी के साथ संसदीय कार्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने और बिल पारित कराने का अनुरोध किया। मगर आजाद का कहना था कि जब वह कह चुके हैं कि तीन दिन में बिल पारित करा देंगे। एससी/एसटी बिल पारित हो गया है। अल्प समय में तीन बिल पारित कराकर हमने अपनी कार्यकुशलता, क्षमता व सहयोग का परिचय दे दिया है। इसके लिए हमें दंडित नहीं किया जाना चाहिए।इस पर नकवी ने विपक्ष से कुछ और हिम्मत दिखाने का अनुरोध किया। लेकिन विपक्षी सदस्य तैयार नहीं हुए।
उनका तर्क था कि बिल पारित होने के बाद असहिष्णुता, बाढ़, मूल्यवृद्धि और अरुणाचल प्रदेश जैसे मुद्दों पर चर्चा की बात तय हुई थी। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी समर्थन किया। फिर भी नकवी के जोर देने पर कांग्रेस सदस्य भड़क गए और वेल में पहुंचकर डीडीसीए घोटाले पर वित्तमंत्री के इस्तीफे की मांग करने लगे। इस पर सदन को तीन बजे तक स्थगित करना पड़ा।
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