लो आ गया शक्तिशाली 'भीम', जानें इस स्पेशल इंजन की ताकत का राज
अपने स्थापना की स्वर्ण जयंती मना रहे डीएलडब्ल्यू (डीजल लोकोमोटिव वकर्स) ने एक और उपलब्धि हासिल की है। अपनी विकास यात्र के 50 वसंत देख चुके डीरेका ने सबसे अधिक क्षमता और आकार वाले रेल इंजन का निर्माण किया है। आकार में बड़ा होने के कारण इसका नाम 'भीम' रखा गया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। अपने स्थापना की स्वर्ण जयंती मना रहे डीएलडब्ल्यू (डीजल लोकोमोटिव वकर्स) ने एक और उपलब्धि हासिल की है। अपनी विकास यात्र के 50 वसंत देख चुके डीरेका ने सबसे अधिक क्षमता और आकार वाले रेल इंजन का निर्माण किया है। आकार में बड़ा होने के कारण इसका नाम 'भीम' रखा गया है।
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इंजन पूरी तरह वातानुकूलित होने के साथ आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। इंजन में पहली बार पायलट के लिए प्रसाधन गृह, आटोमैटिक ब्रेक आदि की सुविधाएं दी गईं हैं। 5500 हार्सपावर का यह इंजन पटरियों पर दौड़ने के लिए तैयार है। बस, अंतिम परीक्षण और हरी झंडी का इंतजार है। डीरेका अब तक 4500, 4000 एचपी और अलको डिजाइन में 1350 से 3300 तक की क्षमता वाले एचपी का इंजन बना चुका है। सीपीआरओ डीरेका मनीष गुप्ता के अनुसार क्षमता अधिक होने के कारण यह इंजन, ज्यादा वैगन लंबी दूरी तक ले जा सकेगा।
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विदेशों में भी सेवा : डीरेका में निर्मित इंजन बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, तंजानिया, वियतनाम आदि देशों को निर्यात किये जाते हैं। डीरेका इंजन के कल पुर्जे भी निर्यात करता है। अब तो डीरेका एडवांस पेमेंट लेने के बाद ही विदेशों के लिए इंजन बनाता है।
शास्त्री जी ने किया था पहले इंजन का उद्घाटन : डीरेका में निर्मित पहले इंजन का उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री ने जनवरी 1964 में किया था।
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