राहुल गांधी को कमान मिलने से भाजपा के आएंगे 'अच्छे दिन' : स्मृति ईरानी
मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से भाजपा के अच्छे दिन आएंगे।

नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के हाथों में कमान देने की खबर पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि राहुल के अध्यक्ष बनने से भाजपा के लिए सही मायने में अच्छे दिन की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि अब सब कुछ बदल गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक स्मृति ईरानी ने कहा कि आम जनता अब कांग्रेस के बहकावे में आने वाली नहीं है।
स्मृति ईरानी और कांग्रेस नेता में छिड़ी ट्विटर पर जंग
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश की सत्ता पर लंबे समय तक काबिज रही। ऐसे में उनके सवाल पूछने का कोई मतलब नहीं होता है। यहीं नहीं गरीबी-भुुखमरी पर सियासत करने वाले कांग्रेस नेताओं की जुबां पर आज गरीबों का ही नाम है। पता नहीं वो जनता को इन मुद्दों पर गुमराह करते रहेंगे। मौजूदा सरकार बेहतर ढंग से काम कर रही है।
जून में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक है। उस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष पद के बारे में औपचारिक फैसला होना है। 2013 में जयपुर चिंतन शिविर में राहुल को महासचिव पद से उठाकर उपाध्यक्ष बनाया गया था। उसके एक साल के बाद से ही लगातार अध्यक्ष की गद्दी सौंपने की अटकल लगती रही थी। लेकिन राहुल ही अनिच्छुक बताए जा रहे थे।
बताते हैं कि यह बदलाव केवल शीर्ष स्तर पर नहीं दिखेगा बल्कि नीचे तक इसका असर होगा। पार्टी के एक बड़े नेता के अनुसार संवाद से जुड़े विभागों में तो वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी होगी लेकिन प्रभारी महासचिवों में बड़ा बदलाव दिखेगा। वहां ऐसे युवा चेहरे होंगे जो टेबल पर बैठक नहीं जमीन तक जाकर फैसला ले सकें। उनमें यह काबलियत होनी चाहिए कि वह ब्लाक और गांव तक जाएं और नीचे से आइ रिपोर्ट को खुद ही जांच सकें।
साफ है कि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया, आरपीएन सिंह, जतिन प्रसाद जैसे उन युवा नेताओं की फौज खड़ी होगी जिन्हें अनुभव भी है और जोश भी। कई युवा नेता कोर ग्रुप में भी शामिल हो सकते हैं। दरअसल राहुल नहीं चाहेंगे कि इस बदलाव के बाद भी पार्टी में कोई अंदरूनी लड़ाई दिखे। लिहाजा 'पूरी सर्जरी' होगी।
राजनीतिक रूप से भी नई जिम्मेदारी लेने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय माना जा रहा है। फिलहाल किसी बड़े कांग्रेस शासित राज्यों में कोई चुनाव नहीं है। उत्तर प्रदेश में राहुल के रणनीतिकार प्रशांत किशोर कुछ कर पाने में सफल हुए तो वह राहुल के ही मेहनत का नतीजा माना जाएगा। पंजाब में अमरिंदर सिंह को चेहरा बनाए जाने के बाद स्थिति थोड़ी सुधरी ही है।
कर्नाटक को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस के पास सिर्फ छोटे राज्य हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब अगले कुछ दिनों तक कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। बल्कि कुछ लाभ जरूर हो सकते हैं।

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