Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    झारखंड: भाजपा में सीएम पद पर कई नाम

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Wed, 24 Dec 2014 03:38 AM (IST)

    झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के बहुमत पाने के साथ मुख्यमंत्री के चयन पर चर्चा शुरू हो गई है। चूंकि भाजपा ने यह चुनाव सामूहिक जवाबदेही के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था, लिहाजा गठबंधन के नेता के नाम पर संशय बना रहा। पार्टी विधायक दल

    रांची, जागरण ब्यूरो। झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन के बहुमत पाने के साथ मुख्यमंत्री के चयन पर चर्चा शुरू हो गई है। चूंकि भाजपा ने यह चुनाव सामूहिक जवाबदेही के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा था, लिहाजा गठबंधन के नेता के नाम पर संशय बना रहा। पार्टी विधायक दल के नेता अर्जुन मुंडा की हार के बाद मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की कतार लंबी हो गई है। भाजपा के लिए मुख्यमंत्री का चुनाव कई चक्रों से होकर करना पड़ेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पहले तो उसको यही तय करना होगा कि मुख्यमंत्री आदिवासी होगा या गैर आदिवासी। हालांकि सूत्र बताते हैं कि भाजपा राज्य में प्रदेश अध्यक्ष की ही तरह मुख्यमंत्री पद पर गैर आदिवासी चेहरा लाने की पहल कर सकती है। राज्य में पहली बार चुनाव पूर्व के राजनीतिक गठबंधन की बहुमत की सरकार आने के बाद अब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे बताए जाते हैं। इस पद के लिए सरयू राय और सीपी सिंह के नाम की चर्चा भी की जा रही है, जबकि केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, केंद्रीय राज्य मंत्री सुदर्शन भगत और सांसद सुनील सिंह के नाम की भी चर्चा है। एक बात यह भी कही जा रही है कि किसी सांसद को मुख्यमंत्री बनाने से दो उप चुनावों की परिस्थितियां बनेंगी। लिहाजा पार्टी नेतृत्व इस फंडे को बहुत तरजीह नहीं देना चाहता।

    दूसरी बात यह भी कि मुख्यमंत्री का चुनाव विधायक करते हैं, इसलिए भी किसी विधायक को ही यह पद सौंपना मुफीद रहेगा। आदिवासी चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हराने वाली लुइस मरांडी और शिवशंकर उरांव का नाम उछाला जा रहा है।

    दावेदारों का मजबूत पक्ष

    रघुवर दास: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तो हैं ही, प्रदेश अध्यक्ष सहित उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनकी छवि साफ-सुथरी है। सामान्य परिवार का होने के साथ-साथ कट्टर भाजपाई होना और कड़क मिजाजी भी इनकी खासियत है। साथ ही ओबीसी चेहरा भी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा का खेमा इनकी राह में रोड़ा अटका सकता है, हालांकि रघुवर की पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से नजदीकियां बड़ी खासियत है।

    सरयू राय: विद्यार्थी परिषद और जेपी आंदोलन से निकले सरयू राय भाजपा के थिंक टैंक में शुमार हंै। पार्टी का चुनाव घोषणा पत्र भी इन्हीं की अध्यक्षता में बनाया गया था। राजनीतिक कार्यों से इतर पर्यावरण के क्षेत्र में इन्होंने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। सरयू राय की छवि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर आवाज उठाने की रही है। कभी मुंडा समर्थक तो कभी रघुवर समर्थक होने के कारण कोई एक खेमा इनका विरोध कर सकता है।

    सीपी सिंह: विधानसभाध्यक्ष रह चुके सीपी सिंह को भाजपा का प्रदेश में बड़ा चेहरा माना जाता है। लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने वाले सीपी सिंह की लोकप्रियता उन्हें मुख्यमंत्री की दौड़ में बनाए हुए है।

    डॉ लुइस मरांडी: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दुमका से हराकर लुइस मरांडी एकाएक सुर्खियों में आ गई हैं। संताल परगना में भाजपा अपनी पैठ बढ़ाने के इरादे से लुइस पर दांव लगा सकती है। लुइस के बहाने भाजपा एक साथ महिला कार्ड, आदिवासी और इसाई कार्ड खेल सकती है।

    शिवशंकर उरांव: संघ की पृष्ठभूमि से पहली बार विधायक चुनकर आए शिवशंकर उरांव ने उत्तरी छोटानागपुर में संगठन को मजबूती दी है। संघ की योजना से यहां चलने वाले वनवासी कल्याण केंद्र और एकल विद्यालय की परिकल्पना को धरातल पर उतारने में इनकी महती भूमिका रही है। हालांकि राजनीति का कम अनुभव इनके आड़े आ सकता है।

    छत्तीसगढ़ के हैं रघुवर दास

    नई दुनिया, रायपुर। झारखंड विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के हार जाने के बाद वहां भावी मुख्यमंत्री के रूप में जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें मूलरूप से छत्तीसगढ़ निवासी रघुवर दास का नाम भी शामिल है। साहू समाज के रघुवर दास प्रदेश के छुरिया (बोइरडीह) के रहने वाले हैं। यहां उनकी पुश्तैनी जमीन थी। उनके पिता वर्ष 1979 में पूरी तरह से टाटानगर में शिफ्ट हो गए। उनके रिश्तेदार अभी भी यहां रहते हैं। रघुवर दास पांच भाई-बहन हैं। इनकी बड़ी बेटी की शादी वर्ष 2007 में दुर्ग के पद्मनाभपुर में हुई है। इनके दामाद जिंदल रायगढ़ में इंजीनियर हैं। बीएससी और एलएलबी करने के बाद रघुवर दास टाटा स्टील कंपनी में पदस्थ थे। इसके बाद वह जेपी आंदोलन में कूद पड़े। झारखंड में इससे पहले जब भाजपा की सरकार थी, तब इन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था।

    पढ़ें: चुनाव परिणाम देखने के लिए क्लिक करें

    comedy show banner
    comedy show banner