राजग-1 तक जा सकती है वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले की जांच
वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में सीबीआइ जांच राजग-एक के कार्यकाल तक जा सकती है। पूर्व राज्यपालों एमके नारायणन और बीवी वांचू के बयान से जांच का दायरा बढ़ने की संभावना पैदा हो गई है। बतौर गवाह पूछताछ में दोनों पूर्व राज्यपालों ने जांच एजेंसी को बताया कि 3600 करोड़ रुपये के सौदे में हेलीकॉप्टरों की उड़ान ऊंचाई कम करने का फैसला दरअसल राजग-एक के कार्यकाल 2003 में लिया गया था।
नई दिल्ली। वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में सीबीआइ जांच राजग-एक के कार्यकाल तक जा सकती है। पूर्व राज्यपालों एमके नारायणन और बीवी वांचू के बयान से जांच का दायरा बढ़ने की संभावना पैदा हो गई है। बतौर गवाह पूछताछ में दोनों पूर्व राज्यपालों ने जांच एजेंसी को बताया कि 3600 करोड़ रुपये के सौदे में हेलीकॉप्टरों की उड़ान ऊंचाई कम करने का फैसला दरअसल राजग-एक के कार्यकाल 2003 में लिया गया था।
वांचू के अनुसार तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने उड़ान ऊंचाई घटाने की पैरवी की थी। उनका कहना था कि मार्च, 2005 की बैठक में केवल उसी फैसले पर मुहर लगाई गई थी। पिछले दिनों सीबीआइ ने 360 करोड़ रुपये की दलाली वाले वीवीआइपी हेलाकॉप्टर खरीद घोटाले में बतौर गवाह पहले पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल नारायणन से पूछताछ की थी। बाद में उसने 4 जुलाई को गोवा के पूर्व राज्यपाल वांचू का भी बयान दर्ज किया। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विशेष बल एसपीजी के प्रमुख रहे वांचू ने अपने बयान में कई अहम जानकारियां दी। तीन घंटे से अधिक चली पूछताछ में उन्होंने जांच एजेंसी को 2003 की उस बैठक के बारे में भी जानकारी दी, जिसमें पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। उक्त बैठक में उड़ान की वास्तविक संचालन जरूरतों के बारे में एसपीजी की सलाह के बाद ही कोई फैसला लेने का निर्णय लिया गया था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, 'वांचू ने बताया कि उच्चस्तरीय बैठक के बाद नवंबर और दिसंबर 2003 में सौदे की बाबत वायु सेना मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय को राय देने के लिए पत्र लिखा गया। इसमें हेलीकॉप्टर खरीद के लिए प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया गया था।' ध्यान रहे कि संप्रग के कार्यकाल में 1 मार्च, 2005 की जिस बैठक में हेलीकॉप्टर की उड़ान ऊंचाई 6000 से घटाकर 4,500 मीटर करने का फैसला लिया गया था, उस निर्णायक मीटिंग में तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नारायणन और एसपीजी प्रमुख रहे वांचू भी शामिल थे। आरोप है कि उड़ान ऊंचाई कम करने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि बोली में अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को शामिल किया जा सके। सीबीआइ का दावा है कि ऊंचाई के मानक में बदलाव कुछ इस तरह से किया गया ताकि अगस्ता को दूसरी प्रतिस्पर्धी कंपनी सिर्कोस्की के मुकाबले हेलीकॉप्टर सौदा हासिल करने में सहूलियत हो सके। अगर निर्धारित उड़ान ऊंचाई पर ही सौदे की बात होती तो अगस्ता बोली में भी शामिल होने की पात्रता नहीं रखती थी।
ध्यान रहे कि सीबीआइ ने इस मामले में पूर्व वायु सेनाध्यक्ष एसपी त्यागी और तेरह अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। त्यागी पर आरोप है कि उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए ही उड़ान ऊंचाई कम कराया। अगर ऊंचाई कम नहीं होती तो हेलीकॉप्टर सौदा हासिल करने वाली अगस्ता कंपनी बोली में भी भाग नहीं ले पाती।
छह देशों को न्यायिक अनुरोध भेजेगा ईडी
प्रवर्तन निदेशालय [ईडी] वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में मनी लांड्रिंग संबंधी अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए करीब छह देशों को न्यायिक अनुरोध [लेटर रेगोटरी] भेजेगा। सूत्रों का कहना है कि ईडी द्वारा इटली, मारीशस, ब्रिटेन, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यूरोप के कुछ अन्य देशों को न्यायिक अनुरोध भेजे जाने की संभावना है ताकि इस सौदे में राशि के प्रवाह की कड़ी जोड़ी जा सके।
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