प्रियंका गांधी के हाथ होगी अमेठी, रायबरेली की कमान
विधानसभा चुनाव 2012 में अमेठी की पांच में तीन व रायबरेली की सभी पांच सीटों पर प्रियंका के प्रचार के बाद भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। चौंका देने वाले परिणाम के बाद मां व भाई के क्षेत्र में दखल और बढ़ाते हुए प्रियंका ने अपने फार्मूले पर पहले रायबरेली फिर अमेठी में नया संगठन खड़ा किया। अब चुनावी
अमेठी [दिलीप सिंह]। विधानसभा चुनाव 2012 में अमेठी की पांच में तीन व रायबरेली की सभी पांच सीटों पर प्रियंका के प्रचार के बाद भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था। चौंका देने वाले परिणाम के बाद मां व भाई के क्षेत्र में दखल और बढ़ाते हुए प्रियंका ने अपने फार्मूले पर पहले रायबरेली फिर अमेठी में नया संगठन खड़ा किया। अब चुनावी रण में योद्धा उतर गए हैं तो फिर मां सोनिया की रायबरेली व भाई राहुल की अमेठी में चुनावी कमान प्रियंका के हाथ में है। हालांकि इस बार राह आसान नहीं होगी, क्योंकि भाजपा की ओर से अमेठी से स्मृति ईरानी व रायबरेली से दमदार उम्मीदवार के आने की आहट ने हाईप्रोफाइल सीट पर कड़ा रोमांच भर दिया है।
कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा वैसे तो सियासत से खुद को दूर रखती हैं, लेकिन अमेठी में वह अपने पिता राजीव गांधी के समय से ही राहुल से कहीं ज्यादा सक्रिय रहीं। उनके निधन के बाद जब लंबे अंतराल पर सोनिया गांधी ने 1999 के आम चुनाव में अमेठी से खड़ी हुईं तो राहुल से दो हाथ आगे निकल प्रियंका ने मां के क्षेत्र में चुनावी कमान थामी। सोनिया गांधी ने कुल पड़े 57.46 फीसद मतों में से 67.12 प्रतिशत मत हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की। मां सांसद बनी तो प्रियंका भी अमेठी में सक्रिय रही। 2004 के आम चुनाव में राहुल सियासी समर में उतरे तो बहन प्रियंका छाया की तरह उनके साथ रही। 2009 के चुनाव में भी अमेठी के साथ ही रायबरेली के चुनाव प्रबंधन की कमान प्रियंका के हाथ में ही थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अमेठी व रायबरेली में बड़ा धक्का लगा वह भी प्रियंका के सक्रिय होने के बाद।
आम आदमी पार्टी की दखल के बाद भाजपा अमेठी में अभिनेत्री से नेता बनी स्मृति ईरानी को चुनाव समर में उतारने की तैयारी में है। इसकी बानगी शुक्रवार को लखनऊ में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के 'सोनिया व राहुल को हम आसानी से नहीं जीतने देंगे' कथन के बाद समझा जा सकता है। अब एक ओर प्रियंका का ग्लैमर है तो दूसरी ओर मूलभूत सुविधाओं से जूझती अमेठी के सवाल। और तो और संगठन में भी महिलाओं की भागीदारी न के बराबर है। प्रियंका के फार्मूले पर गठित जिला कांग्रेस कमेटी के एक भी महिला सदस्य नहीं है।
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