2000 से लंबित सभी दया याचिकाओं पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सुनाया फैसला
2000, 2004, 2005 और 2007 से लंबित पड़े दया याचिकाओं के मामलों पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपना फैसला सुना दिया है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गत साढ़े चार साल के दौरान कुल 32 दया याचिकाओं का निपटारा किया है। हाल के वर्षों में भारत के किसी राष्ट्रपति ने इतनी बड़ी संख्या में दया याचिकाओं पर फैसला नहीं लिया था।
आगामी जुलाई माह में आने वाले नये राष्ट्रपति का बोझ हल्का करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सभी दया याचिकाओं की सुनवाई कर दी। ये मामले तीन पूर्ववर्ती राष्ट्रपति के आर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल के समय से लंबित थे।
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त का दबाव लाया रंग, पाकिस्तान में गिरफ्तार हुआ मुंबई हमले का संदिग्धवर्ष 2000 से अब तक के लंबित सभी 32 दया याचिकाओं में से 28 को उन्होंने खारिज कर दिया। इनमें से मृत्युदंड वाले चार मामलों को उम्र कैद में बदल दिया है।
खारिज हुई याचिकाओं में संसद आतंकी हमले के आरोपी अफजल गुरु, 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मोहम्मद अजमल कसाब और 1986 में एक परिवार के 13 सदस्यों की हत्या करने वाला गुरमीत सिंह शामिल है।
राष्ट्रपति ने 1993 के बारुदी सुरंग विस्फोट के आरोपियों की दया याचिका खारिज कर दी। इस विस्फोट में 22 जवानों की मौत हो गयी थी।
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