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    'बेईमान हैं केजरीवाल, स्वार्थ के लिए मोदी से भी मिला सकते हैं हाथ'

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Tue, 24 May 2016 04:29 PM (IST)

    आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केजरीवाल अपने व्यक्तिगत हितों के लिए नरेंद्र मोदी से भी हाथ मिला सकते हैं।

    वाशिंगटन (पीटीआई)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुए पूर्व आप नेता प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए नरेंद्र मोदी से भी हाथ मिला सकते हैं। अपनी निजी अमेरिका यात्रा के दौरान भारतीय-अमेरिकी समूह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "केजरीवाल पूरी तरह से बेईमान हैं.. जिस दिन उन्हें लगेगा तो वह नरेंद्र मोदी से भी हाथ मिला लेंगे। मुझे इस बारे में कोई संदेह नहीं है।"

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    भूषण का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले एक साल के दौरान दिल्ली सरकार और मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में कई मुद्दों को लेकर तनाव की स्थिति बनी रही। पिछले वर्ष आम आदमी पार्टी छोड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने स्वराज अभियान की स्थापना की थी। प्रशांत भूषण ने कहा, "वह (केजरीवाल) विश्वसनीयता हासिल करने के लिए लोगों का इस्तेमाल करते हैं, मैं और योगेंद्र यादव इसके उदाहरण हैं।"

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    भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा केजरीवाल की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की कोई ईच्छा नहीं है। केजरीवाल पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "वह खुद के लिए जवाबदेही नहीं चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि उन्हें आम आदमी पार्टी के विधायकों के बारे में भ्रष्टाचार के कई मामले सुनने को मिल रहे हैं।

    भूषण ने कहा, "अरविंद में मनमोहन सिंह के लक्षण हैं, जो अपने लिए कभी पैसे नहीं चाहते हैं लेकिन अपने आस-पास के लोगों को इसकी अनुमति देते हैं।"

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    पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनावों पर बात करते हुए भूषण ने कहा, " मेरे हिसाब से पंजाब में कांग्रेस एक अच्छी पंसद हो सकती है और वह 'आप' से बेहतर है तथा कांग्रेस के पास अनुभव है। आम आदमी पार्टी में अब कोई सिद्धांत नहीं बचे हैं।" स्वराज अभियान के बारे में एक प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वह अभी राजनीति में उतरने को तैयार नहीं है और इसमें अभी एक वर्ष का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि चुनावी राजनीति को ज्वॉईन करने से पहले स्वराज अभियान को खुद में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और लोकतंत्र के सिद्धांतों को स्थापित करना होगा। हम 'आप' जैसी गलतियां दोहराना नहीं चाहते हैं।