Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    2004 में प्रणब दा PM बने होते तो 2014 में हम नहीं हारतेः सलमान खुर्शीद

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Wed, 16 Dec 2015 12:06 PM (IST)

    2004 के लोकसभा चुनाव के बाद संप्रग सरकार का नेतृत्व करने के लिए डॉ. मनमोहन सिंह को प्रणब मुखर्जी पर तरजीह दिए जाने से तमाम नेताओं को हैरानी हुई थी। इनमें कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के लोग भी शामिल थे। उनमें से कई लोग दलील देते हैं कि उस

    नई दिल्ली। 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद संप्रग सरकार का नेतृत्व करने के लिए डॉ. मनमोहन सिंह को प्रणब मुखर्जी पर तरजीह दिए जाने से तमाम नेताओं को हैरानी हुई थी। इनमें कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के लोग भी शामिल थे। उनमें से कई लोग दलील देते हैं कि उस समय यदि प्रणब को सरकार की कमान सौंपी गई होती तो वे 2014 के लोकसभा चुनाव की हार टाल सकते थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह कहना है पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का। मनमोहन सरकार में कई अहम मंत्रालय संभाल चुके खुर्शीद ने अपनी नई किताब "द अदर साइड ऑफ द माउंटेन" में कहा कि निकृष्टतम स्थिति से गुजरने के बाद होशियारी दिखाना हमेशा आसान होता है।

    हमें कभी यह नहीं भूलना चाहिए कि नरसिम्हा राव के कार्यकाल में डॉ. सिंह को बाजी पलट देने वाला वित्त मंत्री माना गया था। लेकिन 1999 में दक्षिण दिल्ली की जिस सीट को उनके लिए सबसे सुरक्षित माना गया, वे वहीं से चुनाव हार गए। वह भी एक ऐसे उम्मीदवार से जिनका नाम अब लोगों को मुश्किल से याद होगा। (वे भाजपा के प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा थे।)

    हालांकि, खुर्शीद कहते हैं कि शुरुआती अनिच्छा के बाद मनमोहन को नेता चुनने के सोनिया गांधी के फैसले का स्वागत किया जाने लगा। पांच साल बाद संप्रग को पहले से ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में लाकर उन्होंने खुद भी अपने चुनाव को सही साबित कर दिया।

    संप्रग-2 में विदेश मंत्री रह चुके खुर्शीद अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री का विश्वास हासिल था। यह और बात है कि एक बार प्रेस में दिए एक बयान के लिए उनको मनमोहन से हल्की-सी डांट पड़ी थी।

    खुर्शीद लिखते हैं कि एक बार मैंने मीडिया में संकेत दिया कि भारत अफगानिस्तान को घातक हथियार नहीं दे सकता है। इस पर डॉ. सिंह ने मुझसे कहा कि राष्ट्रपति हामिद करजई एक शंकालु व्यक्ति हैं। इसलिए विदेश मंत्री के रूप में काम करते हुए आपको सावधान रहना होगा।"

    अपनी किताब में खुर्शीद ने संप्रग के कार्यकाल में टूजी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल और कोलगेट जैसे घोटालों पर भी सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि इन मामलों की जांच करने वाली किसी भी एजेंसी ने पैसे के लेनदेन का आरोप नहीं लगाया है। खुर्शीद के मुताबिक, किसी गलत निर्णय के लिए अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाना बहुत आसान होता है।

    पढ़ेंः समुद्र में संयुक्त कॉन्फ्रेंस कर पीएम मोदी ने रचा इतिहास