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    बदल सकती है हरियाणा की राजनीतिक फिजा

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    Updated: Sat, 27 Sep 2014 08:21 AM (IST)

    पवन कुमार, जींद की रैली में मुख्यमंत्री पद की शपथ का ऐलान करने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को दिल्ली हाई कोर्ट से बहुत बड़ी राहत मिली है। अदालत से चौटाला को आत्मसमर्पण करने के लिए 20 दिन का समय मिलना सत्ता वापसी के लिए जबरदस्त जोर आजमाइश कर रही इंडियन नेशनल लोकदल [इनेलो] पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। ओपी चौटाला की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ जाने से उनकी पार्टी की स्थिति बेहद मजबूत हो सकती है।

    नई दिल्ली [पवन कुमार]। जींद की रैली में मुख्यमंत्री पद की शपथ का ऐलान करने वाले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को दिल्ली हाई कोर्ट से बहुत बड़ी राहत मिली है। अदालत से चौटाला को आत्मसमर्पण करने के लिए 20 दिन का समय मिलना सत्ता वापसी के लिए जबरदस्त जोर आजमाइश कर रही इंडियन नेशनल लोकदल [इनेलो] पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। ओपी चौटाला की अंतरिम जमानत अवधि बढ़ जाने से उनकी पार्टी की स्थिति बेहद मजबूत हो सकती है।

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    इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला को यह राहत ऐसे समय पर मिली है, जब हरियाणा में चुनावी सरगर्मी जोर पकड़ रही है। ओपी चौटाला हरियाणा की राजनीति में पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं। ऐसे में उन्हें चुनाव के दौरान मिली यह 20 दिन की मोहलत कम नहीं आंकी जा सकती। जानकारों का मानना है कि इस दरम्यान चौटाला धुआंधार चुनाव प्रचार कर सूबे का सियासी परिदृश्य अपने पक्ष में रखने का पूरा माद्दा रखते हैं।

    हरियाणा के राजनीतिक गलियारे में अभी तक यह हलचल थी कि इनेलो को इस बार पार्टी सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के जेबीटी घोटाले में जेल में रहने के कारण विधानसभा चुनाव में अच्छा खासा नुकसान हो सकता है। इसकी वाजिब वजह यह थी कि ओपी चौटाला इनेलो की मुख्य विचारधारा कहे जाते हैं और वे जेल में थे। मगर अब चौटाला को आत्मसमर्पण के लिए मोहलत मिलने के बाद हरियाणा में चुनाव लड़ रही, कांग्रेस, भाजपा व अन्य राजनीतिक दलों में हलचल पैदा होना लाजिमी है।

    समीकरण में हो सकता उलट-पलट

    हरियाणा में इनेलो पार्टी एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी है, ऐसे में चौटाला का चुनाव प्रचार करना, कहीं न कहीं हरियाणा के राजनीतिक समीकरण में उलट-पलट भी कर सकता है। यह बात हरियाणा के राजनीतिक दल कांग्रेस, भाजपा व अन्य भी बेहतर ढंग से जानते हैं। जिसके चलते राजनीतिक दलों ने हरियाणा के चुनाव में इनेलो को कड़ी टक्कर देने के लिए अपनी रणनीति को और अधिक मजबूत करना शुरू कर दिया है।

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