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    राजनीतिक संकट की ओर अरुणाचल, अब शक्ति परीक्षण पर टकराव

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Sat, 16 Jul 2016 06:37 AM (IST)

    अरुणाचल में आज होने वाले शक्ति परीक्षण पर टकराव की स्थिति बन रही है। कांग्रेस ने कहा कि सत्र का समय राज्यपाल तय नहीं कर सकते हैं।

    ईटानगर, (प्रेट्र)। अरुणाचल प्रदेश अब एक नए राजनीतिक संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बहाल मुख्यमंत्री नबाम तुकी को राज्यपाल ने शक्ति परीक्षण के लिए 10 दिन का समय देने से इन्कार कर दिया है। राज्यपाल ने उनको शनिवार तक विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है।

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    दूसरी तरफ, कांग्रेस इस शक्ति परीक्षण को टालने की रणनीति बनाने में जुट गई है। सूत्रों के अनुसार, वह राज्यपाल के अधिकारों को लेकर अदालत से स्पष्टीकरण भी पूछ सकती है।

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    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए तैयार है। यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस शनिवार को अपना बहुमत साबित कर देगी? सिब्बल ने कहा कि विधानसभा का सत्र कब बुलाया जाए, यह राज्यपाल नहीं तय कर सकते। हम 24 या 25 जुलाई को बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं। लेकिन यह काम कल नहीं हो सकता। विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया ने भी कहा कि इतने कम समय में सत्र बुलाना संभव नहीं है।

    इससे पहले तुकी राजभवन जाकर कार्यवाहक राज्यपाल तथागत रॉय से मिले। उन्होंने शक्ति परीक्षण के लिए विधानसभा का सत्र 10 दिनों तक टालने का अनुरोध किया। तुकी ने कहा कि उन्हें बहुमत साबित करने के लिए बहुत कम समय दिया गया। उनके ज्यादातर विधायक राज्य से बाहर हैं। लेकिन रॉय ने तुकी को मोहलत देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने शनिवार को ही शक्ति परीक्षण का निर्देश दिया।

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    राज्यपाल के निर्देश से खफा कांग्रेस का कहना है कि वह एकतरफा तौर पर विधानसभा का सत्र नहीं बुला सकते हैं। सरकारिया आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए पार्टी ने कहा है कि शक्ति परीक्षण के लिए किसी मुख्यमंत्री को कम-से-कम 30 दिन का समय दिया जाना चाहिए।

    आसान नहीं तुकी की राह

    • विधानसभा में बहुमत साबित करना नबाम तुकी के लिए आसान नहीं होगा।
    • पूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल विधानसभा में 43 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं।
    • पुल ने अपने समर्थक विधायकों के साथ दो दिनों से गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाल रखा है।
    • उनको कांग्रेस के बागियों और भाजपा के 11 विधायकों का समर्थन हासिल है।
    • अरुणाचल विधानसभा में 60 विधायक हैं। दो विधायकों के त्यागपत्र के कारण कुल 58 विधायक रह गए हैं।