संख्या नहीं क्षमता बढ़ाने पर जोर दे सेना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खरी सुनाने में नहीं चूकते। सो, देश के आला सैन्य नेतृत्व के साथ पहले संवाद का मौका मिला तो प्रधानमंत्री ने फौजी जज्बे और सेनाओं की बहादुरी को तारीफों के तमगे देने के साथ ही आपसी तालमेल की कमियों के मुद्दों पर साफगोई से आइना भी दिखाया।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खरी सुनाने में नहीं चूकते। सो, देश के आला सैन्य नेतृत्व के साथ पहले संवाद का मौका मिला तो प्रधानमंत्री ने फौजी जज्बे और सेनाओं की बहादुरी को तारीफों के तमगे देने के साथ ही आपसी तालमेल की कमियों के मुद्दों पर साफगोई से आइना भी दिखाया। उन्होंने सैन्य कमांडरों को नसीहत दी कि सेना संख्या नहीं क्षमता बढ़ाने पर जोर दे।
प्रधानमंत्री बनने के बाद शुक्रवार को तीनों सेनाओं के आला कमांडरों से संवाद में प्रधानमंत्री का सबसे ज्यादा जोर 'सोच बदलने' पर था। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सेना प्रमुखों की ओर से रक्षा हालात और तैयारियों पर लंबे चौड़े प्रेजेंटेशन और कमियों पर दी गई रिपोर्ट के बाद पीएम को संबोधित करना था। अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि 'आप आकार में बड़े होना चाहते हैं या क्षमता में? संख्या नहीं क्षमता बढ़ाने पर जोर दीजिए। तकनीक के इस्तेमाल से छोटे मुल्क भी अपनी ताकत बढ़ा रहे हैं।'
आपस में भी अभ्यास करिएसूत्र बताते हैं कि बैठक में सैन्य अधिकारियों द्वारा दुनिया के विभिन्न मुल्कों की भारत के साथ संयुक्त युद्धाभ्यासों की लंबी फेहरिस्त गिनाई गई। इस पर पीएम ने पूछ डाला कि आप लोगों ने आपस में कितने अभ्यास किए हैं? आपस में भी अभ्यास करिए।
मुझे भी बुला लिया करिएसूत्रों के अनुसार इसी कड़ी में पीएम ने सेनाओं के बीच आपस में तालमेल की कमियों की कमजोर नब्ज पर हाथ रखते हुए कहा कि 'आपस में मिला करिए। छोटे समूहों में मिला करिए और मुझे भी बुला लिया करिए।'
और खूब तारीफ भी कीहालांकि प्रधानमंत्री ने तीनों सेनाओं के आला कमांडरों के साथ अपने पहले संवाद के दौरान जम्मू-कश्मीर की बाढ़ और आंध्र प्रदेश में आए चक्रवात के दौरान सैन्य बलों के योगदान की सराहना भी खूब की। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक पीएम ने सेनाओं की पेशेवर क्षमताओं और ऊंचे आदर्शो की तारीफ करते हुए कहा कि देश का भरोसा रक्षा सेनाओं की सबसे बड़ी ताकत है।
सत्ता संभालते ही वार रूम पहुंचे थे पीएमउल्लेखनीय है कि सत्ता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों के साथ संवाद को बढ़ाने के लिए हर माह मिलने की परंपरा शुरू की है। मोदी ने कामकाज संभालने के पहले पखवाड़े के भीतर ही खुद ही रक्षा मंत्रालय के वॉर रूम पहुंचकर समीक्षा बैठक ली थी।