देश के विकास के लिए केंद्र और राज्यों को कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में अंतरराज्यीय परिषद की बैठक हुई। इसमें कई राज्यों के मुुख्यमंत्री शामिल हुए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र और राज्यों के बीच संबंध बेहतर बनाने लिए दस साल बाद बुलाई गई अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश का साया दिखा। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास के लिए राज्यों को केंद्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की अपील की और पंछी आयोग की सिफारिशों पर अमल का भरोसा दिया। वहीं विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जहां राज्यपाल के पद पर सवालिया निशान लगा दिया, वहीं कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने इसके दुरुपयोग का मुद्दा उठाया। वहीं सबसिडी और अन्य सरकारी अनुदान सीधे बैंक खाते में भेजने पर केंद्र व राज्यों में सहमति दिखी। लोकतंत्र में वाद-विवाद-संवाद की अहमियत पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास में सबके सहयोग जरूरत बताई और इसके लिए सरकार की ओर किये जा प्रयासों का ब्यौरा दिया।
राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री ने विकास में राज्यों के भागीदार बनाने की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि इसीलिए केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी में 10 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। इसी का परिणाम है कि राज्यों को 2014-15 के मुकाबले 2015-16 में केंद्र से 21 फीसदी अधिक राशि मिली है। इसके अलावा पंचायतों और स्थानीय निकायों के लिए दो लाख 87 हजार करोड़ रुपये अलग से दिये जा रहे हैं। उन्होंने कैंपा फंड के 40 हजार करोड़ रुपये राज्यों को मुहैया कराने के लिए जरूरी कानून बदलाव का भी आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री ने राज्यों को सबसिडी और अन्य सरकारी अनुदान को आधार कार्ड से जुड़े सीधे खातों में देने को लेकर बनी आम सहमति पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने राज्यों को केरोसिन तेल की सबसिडी छोड़ने के लिए नई प्रोत्साहन स्कीम की घोषणा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि केरोसिन सबसिडी से होने वाली बचत का 75 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार राज्यों को देने के लिए तैयार है और कर्नाटक सरकार इसके लिए तैयार भी हो गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र-राज्य संबंधों को और बेहतर बनाने के लिए सरकार पंछी आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए तैयार है। लेकिन इसके पहले पंछी आयोग के अनुशंसाओं पर आम राजनीतिक सहमति बनाना जरूरी है। अपने समापन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि सर्वशिक्षा अभियान की सफलता के बाद अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मुहैया कराना सरकार की पहली प्राथमिकता है। बैठक में सभी राज्य शिक्षक-छात्र अनुपात को सुधारने और बेहतर ढांचागत सुविधाएं मुहैया कराने पर एकमत थे।
उन्होंने आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को राजनीति से अलग रखते हुए इस पर व्यापक एकजुटता पर बल दिया। उन्होंने कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को पुलिस बल की संख्या बढ़ाने और सीसीटीवी कैमरे जैसे अत्याधुनिक तकनीक अपनाने की सलाह दी। प्रधानमंत्री की अपील और आश्वासन के बावजूद विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने अरुणाचलप्रदेश और उत्तराखंड की आड़ में राज्यपाल की भूमिका पर सवालिया निशान लगाया।
विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर मोदी सरकार की गंभीरता पर संदेह जताया। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के कामकाज में उपराज्यपाल की दखलअंदाजी का मुद्दा भी उठाया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बैठक में नहीं पहुंचे। वहीं भाजपा शासित मुख्यमंत्री देश में आतंकवाद के बढ़ते खतरे उसे रोकने को लेकर ज्यादा चिंतित दिखे। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने बढ़ती धार्मिक कट्टरता को रोकने के लिए राष्ट्रीय डी-रेडिक्लाइजेशन नीति बनाने की जरूरत पर बल दिया। मुख्यमंत्रियों ने अंतरराज्यीय परिषद की बैठक जल्दी जल्दी बुलाने की मांग की।
वहीं बैठक में मौजूद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 'प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र और राज्यों के संबंधों को नई दिशा मिली है। सभी राज्यों के समान विकास के बिना देश का विकास अधूरा है। राष्ट्र के विकास में केंद्र और राज्य दोनों की अहम भूमिका है।'
बता दें इस बैठक में देश के लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्री जुटे थे। हालांकि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया और उत्तर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव इस बैठक में शामिल नहीं हुए।
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