ढाका में बीजिंग का असर घटाएगी हसीना-मोदी मुलाकात
यह समझौता आने वाले दिनों में भारत को बांग्लादेश के लिए जरुरी रक्षा उपकरणों व हथियारों के अहम आपूर्तिकर्ता के तौर पर स्थापित करेगा।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों की गाड़ी किस तरह से आगे बढ़ेगी इसकी बानगी शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वयं दे दी। शेख हसीना के नई दिल्ली हवाई अड्डे पर अगवानी के लिए सारे प्रोटोकोल को धता बता कर मोदी पहुंच गये थे। इसके पहले पीएम मोदी ने इस तरह की गर्मजोशी सिर्फ राष्ट्रपति बराक ओबामा और यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद अल नाहयन के लिए की है। ऐसे समय जब भारत के रिश्ते अपने अन्य करीबी पड़ोसियों पाकिस्तान व नेपाल के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण नहीं है तब मोदी अपने पूर्वी क्षेत्र के पड़ोसी बांग्लादेश के साथ रिश्तों की नई कहानी लिखने की तैयारी में है। हालांकि इन दोनों देशों के मजबूत होते रिश्ते चीन को नागवार गुजर सकते हैं।
लुक ईस्ट नीति के दूसरे चरण का आगाज
दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच शनिवार को द्विपक्षीय वार्ता होगी जिसमें तकरीबन 20 बेहद अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे। इसमें सबसे समझौता रक्षा क्षेत्र से जुड़ा होगा जो पहली बार दक्षिण एशिया के दो बड़े देशों को एक मजबूत रणनीतिक साझेदार के तौर पर स्थापित करेगा। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक भारत व बांग्लादेश के बीच होने वाला रक्षा सहयोग समझौता भारत की 'लुक ईस्ट नीति' के दूसरे चरण की शुरुआत होगी।
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यह समझौता आने वाले दिनों में भारत को बांग्लादेश के लिए जरुरी रक्षा उपकरणों व हथियारों के अहम आपूर्तिकर्ता के तौर पर स्थापित करेगा। साथ ही दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के अन्य देशों को भारत के रक्षा उपकरणों व सार्मथ्य के बारे में विश्वस्त भी करेगा। सनद रहे कि चीन भी बांग्लादेश को अपने रक्षा उपकरणों व हथियारों के लिए एक बड़े बाजार के तौर पर देख रहा है। यही नहीं चीन मौजूदा समय में बांग्लादेश का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता देश है और इन दोनों के बीच एक डिफेंस डील भी है। कहने की जरुरत नहीं कि भारत के साथ भी इस तरह का समझौता एक कूटनीतिक जीत होगी।
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पूर्वोत्तर के विकास के लिए अहम
दोनों प्रधानमंत्रियों के सामने सड़क व रेल मार्ग संपर्क को लेकर अहम समझौते होने हैं। ये समझौते भारत के बाजार से बहुत हद तक कटे रहने वाले पूर्वोत्तर राज्यों के उद्योग धंधों को बांग्लादेश से लेकर थाईलैंड, विएतनाम, फिलीपींस तक का बड़ा विकसित बाजार उपलब्ध कराएंगे। देश बंटवारा होने के कई वर्षो बाद तक पूर्वोत्तर के कई राज्यों का रेल संपर्क बांग्लादेश के साथ था जो धीरे धीरे खत्म हो गया। लेकिन अब केंद्र सरकार उन सभी रूटों पर पैसेंजर व माल ट्रेनों को चलाने की योजना तैयार कर चुकी है।
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