कांग्रेस में चापलूसी नहीं प्रदर्शन को दिया जाए महत्व
कांग्रेस में व्याप्त परिक्रमा यानी चापलूसी की संस्कृति पर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने करारा हमला बोला है। राहुल गांधी के करीबी थिंक टैंक माने जाने वाले रमेश का कहना है, 'कांग्रेस में चापलूसी नहीं प्रदर्शन को अनिवार्य रूप से महत्व दिया जाना चाहिए।' इस क्रम में उन्होंने राहुल से आग्रह किया कि प्रदर्शन आधारित नेत
नई दिल्ली। कांग्रेस में व्याप्त परिक्रमा यानी चापलूसी की संस्कृति पर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने करारा हमला बोला है। राहुल गांधी के करीबी थिंक टैंक माने जाने वाले रमेश का कहना है, 'कांग्रेस में चापलूसी नहीं प्रदर्शन को अनिवार्य रूप से महत्व दिया जाना चाहिए।' इस क्रम में उन्होंने राहुल से आग्रह किया कि प्रदर्शन आधारित नेतृत्व विकसित करने के लिए वह कांग्रेस में युवा टीम को बढ़ावा दें।
हाल ही में सभी कांग्रेसी नेताओं को 70 वर्ष की उम्र में रिटायर कर देने संबंधी सुझाव देने वाले जयराम रमेश ने इस संवाददाता से विशेष साक्षात्कार में उपरोक्त टिप्पणी की। इस दौरान उन्होंने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता की जमकर तारीफ की। बकौल रमेश, 'राहुल लंबी रेस के घोड़ा हैं। वह एक धावक टाइप के शख्स हैं। लंबी दूरी तक दौड़ने की क्षमता रखते हैं।' केंद्रीय मंत्री के अनुसार, 'राहुल के पास बदलते जमाने की चुनौतियों के मद्देनजर पार्टी को पुनर्गठित करने की पुख्ता योजना है। अभी तक हमने परिक्रमा (चापलूसी) की राजनीति खूब देखी, अब प्रदर्शन यानी उपलब्धियों की राजनीति होनी चाहिए।' उन्होंने कहा कि राहुल पार्टी की प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में आमूलचूल बदलाव करना चाहते हैं। अमेरिकी तर्ज वाले प्राइमरी से कुछ चुनिंदा सीटों पर उम्मीदवार चुनने का प्रयोग इसी दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। इससे कार्यकर्ताओं का सशक्तीकरण होगा। कांग्रेस नेताओं के रिटायरमेंट के लिए 70 की उम्र सीमा तय करने संबंधी अपने सुझाव पर रमेश का कहना था, 'राजनीति में हमें सभी स्तरों पर अलग-अलग पृष्ठभूमि के नए लोगों को समय-समय पर लाना पड़ता है। सियासत पर कुछ मुट्ठी पर लोगों का एकाधिकार नहीं होना चाहिए।' खुद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, 'एक हफ्ते में मैं भी 60 वर्ष का हो जाऊंगा। लिहाजा उम्र के हिसाब से मैं भी बुजुर्ग हो जाऊंगा। उस स्थिति में राहुल मेरे अनुभव का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उनके लड़ाकू दस्ते में युवाओं का होना चाहिए।' रमेश के मुताबिक, 'आपको पता होना चाहिए कि कब सन्यास लेना है। सुनील गावस्कर, कपिल देव ने तब क्रिकेट को अलविदा कहा, जब उनका करियर शिखर पर था।' रमेश ने भरोसा जताया, '2014 का चुनाव हम विपक्ष में बैठने के लिए नहीं बल्कि सत्ता में फिर से वापस आने के लिए लड़ रहे हैं।'
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