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    सामने आई निराशा, कांग्रेस में भगदड़ के हालात

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    Updated: Fri, 04 Apr 2014 08:24 AM (IST)

    चुनावी रणभेरी बजने के बाद सत्ताधारी दल कांग्रेस में भगदड़ के हालात पैदा हो गए हैं। आलम यह है कि उसके कई मंत्री चुनाव मैदान में उतरने से ही पीछे हट गए। वहीं, कुछ ने टिकट मिलने के बाद उसे लौटा दिया। मतदान से चंद दिन पहले गौतमबुद्ध नगर के प्रत्याशी रमेश चंद तोमर ने तो टिकट लौटाकर कांग्रेस को सन्न कर ह

    नई दिल्ली [जाब्यू]। चुनावी रणभेरी बजने के बाद सत्ताधारी दल कांग्रेस में भगदड़ के हालात पैदा हो गए हैं। आलम यह है कि उसके कई मंत्री चुनाव मैदान में उतरने से ही पीछे हट गए। वहीं, कुछ ने टिकट मिलने के बाद उसे लौटा दिया। मतदान से चंद दिन पहले गौतमबुद्ध नगर के प्रत्याशी रमेश चंद तोमर ने तो टिकट लौटाकर कांग्रेस को सन्न कर ही दिया। इस तरह से चुनाव से पहले ही कांग्रेस ने एक सीट गंवा दी। केंद्रीय मंत्री और आंध्र प्रदेश के नेता केएस राव ने भी कांग्रेस छोड़कर उसे झटका दिया है। प्रबल संभावना है कि वह भाजपा का दामन थाम लेंगे। केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने युद्ध लड़ने से पहले ही कांग्रेस के हार मानने की बात स्वीकार कर रही-सही कसर और पूरी कर दी। रमेश ने माना कि लोगों की नजर में कांग्रेस चुनाव हार चुकी है।

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    पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस प्रत्याशियों ने टिकट मिलने के बाद या तो उन्हें वापस किए या फिर भाजपा में शामिल हो गए। यह सिलसिला अभी भी जारी है और कांग्रेस के प्रत्याशी पार्टी की फजीहत कराने में होड़ लगाए हैं। केंद्रीय कपड़ा मंत्री केएस राव कांग्रेस छोड़ चुके हैं और भाजपा में शामिल होंगे। तेलंगाना के मुद्दे पर केएस राव पहले भी अपनी नाराजगी जता चुके हैं और कांग्रेस से इस्तीफे की वजह इसी नाराजगी को माना जा रहा है।

    सबसे बड़ी फजीहत गौतमबुद्ध नगर से कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश चंद तोमर ने करा दी। उन्होंने मोदी के समर्थन में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के साथ प्रेसवार्ता कर अपनी पुरानी पार्टी में शामिल हो गए। अब गौतमबुद्ध नगर में नामांकन तिथि निकल जाने से यहां चुनाव मैदान में कांग्रेस का कोई उम्मीदवार ही नहीं होगा।

    कांग्रेस की फजीहत यहीं नहीं थमी। पंजाब के फतेहगढ़ साहेब से कांग्रेस सांसद सुखदेव सिंह लिबड़ा भी पार्टी छोड़ अकाली दल में शामिल हो गए हैं। कांग्रेस ने इस बार उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया। इससे वह नाराज बताए जा रहे थे। 81 साल के लिबड़ा पहले अकाली दल में ही थे, लेकिन 2008 में न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर संप्रग सरकार के समर्थन में वोट दिया था। इसके बाद अकाली दल ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर वह फतेहगढ़ साहिब से सांसद चुने गए थे। इस मौके पर अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस पर टिकट बेचने का आरोप लगाया।

    इस भगदड़ में उत्तर प्रदेश के कुछ और प्रत्याशियों के भी कांग्रेस छोड़ने की खबरें हैं, जिन्हें रोकने के लिए कांग्रेस के प्रबंधक सक्रिय हो गए हैं। मध्य प्रदेश में भिंड से टिकट पाने वाले भागीरथ प्रसाद ने कांग्रेस को पहले ही गच्चा दे दिया था। अब कांग्रेस के एक विधायक दिनेश अहिरवार भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि कांग्रेस में इसको लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे हैं। मसलन तोमर को पार्टी में लाने और उन्हें टिकट दिलाने वाले की जिम्मेदारी तय करने की बात हो रही है।

    वहीं, केएस राव और केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश आपस में भिड़ गए हैं। राव ने जयराम रमेश जैसे नेताओं को देश और पार्टी की दुर्गति का कारण बताया और उनकी एकमात्र योग्यता नफीस अंग्रेजी बताई। साथ ही कहा कि पार्टी के मौजूदा हालात के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार जयराम हैं। वहीं रमेश ने राव को अवसरवादी बताते हुए कहा कि वह केवल अपने आर्थिक हितों को साधने के लिए भाजपा का दामन थाम रहे हैं। इस बीच जयराम रमेश ने एक एजेंसी को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि वह लोगों की नजर चुनाव हार गए हैं और इसका दोष उन्होंने पार्टी के नेतृत्व की संवादहीनता को दिया।

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