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    लोगों ने समझा फिर आतंकी हमला हो गया

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    Updated: Thu, 15 Aug 2013 12:29 AM (IST)

    सिंधुरक्षक पनडुब्बी में धमाकों के चलते कई प्रत्यक्षदर्शियों ने पहले-पहल यही समझा कि मुंबई पर आतंकियों ने फिर से कहर बरपा दिया है। प्रत्यक्षदर्शी शिवाज ...और पढ़ें

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    मुंबई, [इरम सिद्दीकी]। सिंधुरक्षक पनडुब्बी में धमाकों के चलते कई प्रत्यक्षदर्शियों ने पहले-पहल यही समझा कि मुंबई पर आतंकियों ने फिर से कहर बरपा दिया है। प्रत्यक्षदर्शी शिवाजे कादे ने बताया कि पनडुब्बी में धमाके के समय वह गेटवे पर थे। उन्होंने और उनके आस-पास के लोगों ने सोचा कि शायद भूकंप आया है, लेकिन जल्दी ही आग की लपटें दिखाई देने लगीं। धमाकों के साथ आग की लपटें देखकर उन्हें लगा किमुंबई में फिर आतंकी हमला हो गया है और इस बार आतंकियों ने गेटवे अॅाफ इंडिया को निशाना बनाया है। जल्दी ही पता चला कि कुछ और हुआ है। देखते ही देखते आग की लपटें आसमान छूने लगीं। धमाकों से निकली आग की लपटें इतनी तेज थीं कि पूरा गेटवे चमक उठा।

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    दया नगर के अजय मिस्त्री ने बताया कि आग इतनी तेज थी कि आसमान उससे ढक सा गया। लोग कुछ समझ नहीं पा रहे थे। वे बदहवासी में जान बचाने के लिए भागे। दरअसल, आतंकी हमले का भय लोगों के मन में इस कदर बैठा है कि कुछ भी होता है तो उन्हें लगता है कि आतंकियों ने फिर हमला कर दिया। पश्चिमी तटरक्षक बल में कार्यरत कृष्णा हरीचंद्र भी नौसेना के साथ पेश आए सबसे बड़े हादसे के गवाह बने। दरिया सागर निवासी हरीचंद्र ने बताया कि आधी रात वह अपने लैपटॉप पर फिल्म देख रहे थे कि जोरदार धमाके की आवाज सुनाई दी। उन्होंने सोचा कि कहीं आतिशबाजी हो रही है, लेकिन तभी दो और धमाके हुए। कुछ ही देर में समुद्र से आग और धुआं उठता दिखाई दिया। सिंधुरक्षक पनडुब्बी के एक नौसैनिक की जान इसलिए बच गई, क्योंकि उसे ड्यूटी पर पंहुचने में देर हो गई। वह पनडुब्बी के पास पहुंचने ही वाला था कि उसमें धमाके होने लगे। पास की एक अन्य पनडुब्बी सिंधुघोष के नौसैनिकों ने पानी में कूदकर उसकी जान बचाई। सिंधुघोष को भी मामूली क्षति पहुंची है।

    (मिड-डे)

    खुशकिस्मत रहे कमांडिंग ऑफिसर समेत 37 नौसैनिक

    मुंबई, [विनोद कुमार मेनन]।

    कमांडिंग ऑफिसर राजेश रामकुमार सहित 37 नौसैनिक खुशकिस्मत रहे। इन सभी को आइएनएस सिंधुरक्षक में सवार होना था लेकिन संयोगवश ये लोग हादसे के वक्त पनडुब्बी में मौजूद नहीं थे। खुशकिस्मत तो वे तीन नौसैनिक भी रहे जो घटना के वक्त पनडुब्बी की ऊपरी सतह पर निगरानी कर रहे थे। इन्होंने धमाके होते ही समुद्र में छलांग लगा दी। लेकिन बाकी के 18 नौसैनिक इस हादसे में फंस गए, जिनका अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। पनडुब्बी में सवार तीन अधिकारियों में दूसरे कमांडिंग ऑफिसर पॉल, लेफ्टिनेंट कमांडर वेंकट राज और सिग्नल कम्यूनिकेशन ऑफिसर (नाम पता नहीं चल पाया) शामिल हैं।

    हालात का जायजा लेने के लिए रक्षा मंत्री एके एंटनी, एडमिरल डीके जोशी और मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के साथ पहुंचे राज्य के मुख्य सचिव जयंत कुमार बंथिया ने बताया कि पनडुब्बी में लगी आग की तीव्रता और ताप का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जहां यह पनडुब्बी डूबी, उसके आसपास का पानी बुधवार दोपहर तक गर्म था। इसके बावजूद नौसैना के गोताखोर तलाशी अभियान जारी रखे हुए हैं। गोताखोरों के लिए पहली चुनौती डूबी हुई पनडुब्बी का प्रवेश द्वार ढूंढ़ना है। इसके बाद ही वह अंदर घुसकर उसमें फंसे नौसैनिकों तक पहुंच पाएंगे। इसके साथ ही पनडुब्बी में से पानी को भी निकालने की जरूरत है ताकि वह सतह पर आ सके। मुख्यमंत्री चह्वाण ने कहा कि राज्य सरकार नौसेना की हर तरह की मदद के लिए तैयार है। यह पूछे जाने पर कि क्या जांच में स्थानीय पुलिस सहयोग करेगी, उन्होंने कहा कि रक्षा प्रतिष्ठान के अंदर हुए हादसे के कारण इसकी जांच नौसेना द्वारा गठित बोर्ड ऑफ इंक्वायरी ही करेगी। एडमिरल डीके जोशी ने कहा कि फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम पनडुब्बी से फोरेंसिक साक्ष्य जुटाकर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। जांच के दौरान मुंबई के अग्निशमन दस्ते के कर्मचारियों के भी बयान रिकार्ड किए जाएंगे।

    सूत्रों के अनुसार, पनडुब्बी में मौजूद तीन अधिकारियों में दो और 15 नौसैनिकों में छह शादीशुदा हैं। इनमें ज्यादातर के परिवार मुंबई में ही हैं। नौसैनिक अस्पताल आइएनएस अश्रि्वनी के डॉक्टरों की टीम इन परिवारों को मनोचिकित्सकीय सहायता मुहैया करा रही है।

    (मिड-डे)

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