संसदीय समिति ने उमर सरकार को लिया आड़े हाथों
संसदीय समिति ने घाटी में भयंकर बाढ़ के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार को आड़े हाथों लिया है। समिति ने मौसम विभाग की सामान्य से अत्यधिक बारिश की पूर्व चेतावनी ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसदीय समिति ने घाटी में भयंकर बाढ़ के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार को आड़े हाथों लिया है। समिति ने मौसम विभाग की सामान्य से अत्यधिक बारिश की पूर्व चेतावनी के बावजूद इससे निपटने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं करने के लिए उमर अब्दुल्ला सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इसके साथ ही समिति ने बाढ़ की तबाही के बाद बचाव और राहत के प्रयासों पर राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया है।
पी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने केवल मकानों को हुए नुकसान का अनुमान लगाया है। जबकि जम्मू-कश्मीर में आम लोगों की आजीविका का मुख्य साधन पशुधन है। लेकिन पशुधन को हुए नुकसान का कोई भी आंकलन नहीं किया गया है। समिति ने सरकार को इसमें तत्काल सुधार करते हुए पुनर्निर्माण पैकेज में पशुधन को हुए नुकसान को भी शामिल करने को कहा है।
संसदीय समिति ने जम्मू-कश्मीर में प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए बचाव और राहत की तैयारियों पर असंतोष जताया है। सैलाब के दौरान हालत यह थी राज्य सरकार की मशीनरी पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी। टेलीफोन और मोबाइल सेवाओं के ध्वस्त होने के बाद आपस में संपर्क में राज्य सरकार के पास सेटेलाइट फोन तक नहीं थे। समिति की माने तो ऐसा लगता है कि प्राकृतिक आपदा के समय राज्य सरकार सोते समय पकड़ी गई थी। समिति ने भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने को कहा है। इसके साथ समिति ने राज्य को नदी की गाद निकालने के लिए दी गई केंद्रीय सहायता का उपयोग नहीं करने पर भी आड़े हाथों लिया है और भविष्य में इसे सुनिश्चित करने के लिए राज्य व केंद्र के संयुक्त निगरानी करने की जरूरत बताई है।
समिति ने सरकार को विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का भी सुझाव दिया है। यह समिति कश्मीर घाटी में भूंकप के खतरे का आंकलन कर सरकार को इससे बचने के लिए जरूरी उपाय सुझाएगी।
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