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    संसद भवन पर भी भूकंप का खतरा

    By anand rajEdited By:
    Updated: Mon, 27 Apr 2015 08:28 AM (IST)

    भूकंप के लिहाज से संसद भवन भी सुरक्षित नहीं है। रिपोर्ट में बात सामने आई है कि राजधानी पर भूकंप के खतरे को देखते हुए संसद भवन को भी भूकंपरोधी बनाए जान ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। भूकंप के लिहाज से संसद भवन भी सुरक्षित नहीं है। रिपोर्ट में बात सामने आई है कि राजधानी पर भूकंप के खतरे को देखते हुए संसद भवन को भी भूकंपरोधी बनाए जाने की जरूरत है, क्योंकि संसद भवन सुरक्षित नहीं है। जानकारी के अनुसार, नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने लगभग दो साल पहले संसद भवन के निर्माण पद्धति और इसकी मजबूती को लेकर अध्ययन कराया था। इसके लिए निजी कंपनी लगाई गई थी। कंपनी ने कुछ समय पहले अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें इस बात का जिक्र है कि अतिविशिष्ट इमारत होने के नाते इसमें कई तरह की व्यवस्थाएं उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है।

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    रिपोर्ट के अनुसार, इमारत की मजबूती में कोई कमी नहीं है। मगर भूकंप के लिहाज से व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है। संसद भवन के फायर फाइटिंग सिस्टम पर भी सवाल उठाए गए हैं। हालांकि, इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है और न ही एनडीएमसी का कोई भी अधिकारी इस बारे में बोलने को तैयार है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट में जियो हेजार्ड रिस्क मैनजमेंट डीविजन के हेड डॉ. चंदन घोष कहते हैं कि भूकंप को लेकर संसद भवन के अध्ययन के बारे में जानकारी नहीं है। मगर यह बात सच है कि जिस समय 1935-36 में संसद भवन की इमारत का निर्माण हुआ था, उस समय भूकंप रोधी इमारतों के लिए मानक तय नहीं थे।

    भारत सरकार ने मानक ब्यूरो का गठन ही 1948 में किया था। इस संगठन ने भूकंप के मद्देनजर 1960 में पहली बार ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) कोड जारी किया। उसके बाद से भूकंप के लिए इमारतों में सरकारी तौर पर नियमों का पालन किए जाने की बात सामने आई। वह कहते हैं कि संसद भवन अति महत्वपूर्ण इमारत है। ऐसे में इस इमारत का बड़े स्तर पर तकनीकी अध्ययन कराया जाना चाहिए। तमाम अध्ययन करने के बाद देखा गया कि इससे पहले निर्माण के मामले में भूकंप को लेकर बात नहीं होती थी। अब जिस तरह से नेपाल में भूंकप से कई महत्वपूर्ण इमारतें क्षतिग्रस्त हुई हैं ऐसे में हमें भी अपनी महत्वपूर्ण इमारतों के बारें में गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

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