अर्थव्यवस्था संभालने में सरकार नाकाम
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत और बेहाल अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर लोकसभा में हुई चर्चा में विपक्ष ने सरकार पर हालात संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे अब सत्ता छोड़ देनी चाहिए। अब जनता ही सरकार का भविष्य तय कर खुद अपना भविष्य
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत और बेहाल अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर लोकसभा में हुई चर्चा में विपक्ष ने सरकार पर हालात संभालने में नाकाम रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे अब सत्ता छोड़ देनी चाहिए। अब जनता ही सरकार का भविष्य तय कर खुद अपना भविष्य बनाएगी।
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चर्चा में हिस्सा लेते हुए पूर्व वित्ता मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि सरकार ने अपनी नीतियों से विश्वास का संकट पैदा कर दिया है। सरकार की अकर्मण्यता और अर्थव्यवस्था पर से नियंत्रण खो देना इसकी प्रमुख वजह है। महंगाई, विकास दर में कमी और रुपये की कीमत में गिरावट को अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्या बताते हुए सिन्हा ने कहा कि सरकार देश को 1991 के संकट की तरफ ले जा रही है। चर्चा की शुरुआत भाकपा सांसद गुरुदास दासगुप्ता ने की थी।
सरकार की आर्थिक नीतियों को निशाने पर लेते हुए सिन्हा ने कहा कि चालू खाते का घाटा ऐसी खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है कि यदि इस वित्ता वर्ष के अंत तक देश में 25 अरब डॉलर की आवक नहीं हुई तो भुगतान संतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। वित्ता मंत्री पी चिदंबरम के उपायों की चर्चा करते हुए सिन्हा ने कहा कि नाकाबिल डॉक्टर की तरह वे अर्थव्यवस्था की बीमारी का इलाज कर रहे हैं। अब इस सरकार का चले जाना ही उचित होगा।
पूर्व वित्ता मंत्री ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थितियों के लिए 2008-09 के दौरान उठाए गए कदमों को जिम्मेदार बताया। सिन्हा ने कहा 'आज के संकट का बीज 2008-09 में बोया गया था जिसने सरकार के सभी घाटों को विस्तार दिया।' तत्कालीन सरकार की खर्च बढ़ाने की नीति की कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त निवेश बढ़ाने की आवश्यकता थी। वित्ता मंत्री पी चिदंबरम के हाल के बयानों का जिक्र करते हुए सिन्हा ने कहा कि 2008 में वित्ता मंत्री भारतीय अर्थव्यवस्था की खराब हालत के लिए अमेरिका की मंदी को दोषी बताते थे। अब आज जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था सुधर रही है तो भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थितियों के लिए उसी को दोषी बता रहे हैं।
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