भारत विरोधी आतंकियों पर कार्रवाई को लेकर बेहद खराब है पाक का रिकार्ड
हाफिज सईद को आतंकी मानकर पाक ने एक बड़ा कदम तो उठाया है लेकिन आइएसआइ की नीयत अभी भी साफ नहीं है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पाक ने हाफिज सईद को आतंकरोधी कानून के तहत शामिल कर एक बड़ा कदम तो उठाया है लेकिन वहां की खुफिया एजेंसियों और सेना की मंशा को लेकर भारत अभी तक मुतमईन नहीं है। खास तौर पर पिछले कुछ समय से जिस तरह से वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत के खिलाफ आतंकी घटनाओं के लिए कभी जमात उद दावा तो कभी जैश ए मोहम्मद का इस्तेमाल करती रही है उसमें बदलाव होता नहीं दिख रहा है।
पिछले दो वर्षो से जैश ए मोहम्मद को बढ़ावा दे रही पाक एजेंसियों ने हाल के महीनों में जमात उद दावा को आगे बढ़ाना शुरु कर दिया है। भारत विरोधी आतंकियों को लेकर पाक का अभी तक का रिकार्ड बहुत खराब है। दक्षिण एशिया की रणनीतिक व आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ नितिन गोखले का कहना है कि पाक ने अभी तक जो कदम उठाये हैं वह उन आतंकियों के खिलाफ उठाये हैं जो उसके लिए समस्या बन रहे थे। सईद के नाम को शामिल करना महज दिखावा है। उसे गंभीरता से तब लिया जाएगा तब जमात की तमाम भारत विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगेगी। इस बात में संदेह है कि पाक की सेन या आइएसआइ ऐसा करेगी।
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खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक जब से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी लगाने की मुहिम शुरु की गई है उसके बाद पाक ने जैश को लेकर अपनी रणनीति बदल दी है। जैश को शांत रहने को कहा गया है। अजहर व उसके परिवार के सारे लोग लापता हैं। पंजाब प्रांत के बहावलपुर स्थित जैश के मुख्यालय में फिलहाल कोई भारत विरोधी गतिविधियां नहीं चल रही है।
यह स्थिति वर्ष 2015 से एकदम उलट है जब हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा को चुप रहने का आदेश दिया गया था। तब कश्मीर में संचालन करने के लिए कुख्यात जैश को प्रोत्साहित किया जा रहा था। इस तरह से पाकिस्तान माहौल को देखते हुए जैश व जमात को बढ़ावा देता रहता है।
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यही नहीं जमात उद दावा ने फिर से नाम बदलने का खेल खेला है। जमात का पहला नाम लश्कर ए तैयब्बा था। चंद रोज पहले ही उसने अपना नाम तहरीके आजादी जम्मू कश्मीर रख ली है। नया नाम रखने के कुछ ही दिन बाद पाक अधिकृत कश्मीर में एक बड़ी रैली निकाली और पूरे पाकिस्तान में सार्वजनिक तौर पर कश्मीर जिहाद के नाम पर चंदा जुटाने का काम शुरु कर दिया है। नये नाम की आड़ में जमात अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकेगा जबकि पाकिस्तान की एजेंसियां बाहरी दुनिया को दिखावे के लिए जमात के खिलाफ कार्रवाई करती रहेंगी।
सनद रहे कि मुंबई हमले के साजिश में शामिल सभी छह प्रमुख आरोपियों के खिलाफ जांच भी पूरी नहीं की गई है। पाक इस मामले में भारत की कोई मदद भी नहीं कर रहा। यहीं नहीं पिछले वर्ष हुए पठानकोट हमले के दोषी जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर व उसके संगठन के लोगों के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पाकिस्तान ने पठानकोट हमले की जांच के लिए भेजी गई अपनी विशेष जांच दल की रिपोर्ट तक सार्वजनिक नहीं की जबकि वहां की मीडिया में यह बात प्रकाशित हुई कि रिपोर्ट में पाक स्थित आतंकियों की भूमिका साबित हो रही है।
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