आम सहमति होने पर न्यायमूर्ति सतशिवम लोकपाल बनने को तैयार
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) पी सतशिवम सेवानिवृत्ति के बाद देश का पहला लोकपाल बनने या कोई अन्य पद संभालने से गुरेज नहीं करेंगे, बशर्ते इस पर बगैर किसी विवाद के सर्वसम्मति से फैसला लिया जाए। सीजेआइ ने कहा, 'यदि सर्वसम्मति से लोकपाल बनाया जाता है तो निश्चित रूप से मैं उसे स्वीकार करूंगा।' नौ माह तक सर्वोच्च न्याय
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) पी सतशिवम सेवानिवृत्ति के बाद देश का पहला लोकपाल बनने या कोई अन्य पद संभालने से गुरेज नहीं करेंगे, बशर्ते इस पर बगैर किसी विवाद के सर्वसम्मति से फैसला लिया जाए।
सीजेआइ ने कहा, 'यदि सर्वसम्मति से लोकपाल बनाया जाता है तो निश्चित रूप से मैं उसे स्वीकार करूंगा।' नौ माह तक सर्वोच्च न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में काम कर शनिवार को सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति सतशिवम ने कहा कि वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रमुख या लोकपाल जैसे पद को स्वीकार करने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन ऐसा बगैर किसी विवाद के और किसी पूर्व सीजेआइ के लिए उपयुक्त होना चाहिए। सीजेआइ ने उच्चतर न्यायपालिकाओं में नियुक्ति की वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था जारी रखने का पक्ष लिया। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया में हम संबंधित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से पूरी तरह विचार विमर्श करके और जरूरत पड़ने पर राज्यों के महाधिवक्ताओं की राय लेकर न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं। यदि कोई व्यक्ति न्यायपालिका के बाहर का इसमें शामिल किया जाता है तो हो सकता है कि उसे न्यायपालिका की जानकारी नहीं हो। वह न्यायाधीशों के चयन का उचित तरीका नहीं होगा। न्यायमूर्ति का मानना है कि केंद्र में कैबिनेट सचिव और गृह सचिव की तरह सीजेआइ का कार्यकाल दो साल तय होना चाहिए। इससे सीजेआइ को काम करने के लिए और समय मिल जाएगा क्योंकि दो-तीन माह तो सबकुछ ढंग से समझने में ही लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतर न्यायपालिका में महिलाओं और अल्पसंख्यकों सहित समाज के कमजोर तबके को उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
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