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    शख्स जो सामने लाया मोदी की पत्नी का नाम

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    Updated: Fri, 25 Apr 2014 10:47 AM (IST)

    आखिर भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को अपने लोकसभा चुनाव के नामांकन में पत्नी जशोदाबेन के नाम का जिक्र क्यों करना पड़ा? इससे पहले उन्होंने ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। आखिर भाजपा के पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को अपने लोकसभा चुनाव के नामांकन में पत्नी जशोदाबेन के नाम का जिक्र क्यों करना पड़ा? इससे पहले उन्होंने गुजरात विधानसभा के जितने भी चुनाव लड़े, पत्नी के नाम का उल्लेख करने वाला कॉलम खाली छोड़ दिया था। इस बदलाव के लिए जिस शख्स को जिम्मेदार माना जा रहा है, वो है देश के चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम।

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    जस्टिस सदाशिवम ने व्यवस्था दी थी कि कोई भी प्रत्याशी अपने नामांकन का कोई कॉलम खाली नहीं छोड़ेगा। यानी उसे नामांकन फॉर्म में पूछी गई हर जानकारी भरनी होगी। इसके बाद ही मोदी ने अपनी पत्नी का जिक्र किया और आगे चलकर यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बना।

    जस्टिस सदाशिवम सुप्रीम कोर्ट के 40वें सीजेआइ हैं और 26 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने जुलाई 2013 में जस्टिस अल्तमस कबीर के बाद यह कार्यभार संभाला था और अपने करीब एक साल के कार्यकाल में कई अहम फैसले सुनाए।

    जस्टिस सदाशिवम के कहने पर ही चुनाव आयोग ने ईवीएम में नोटा यानी नन ऑफ द अबव का बटन शामिल किया। यानी कोई प्रत्याशी पसंद न आने पर सभी को खारिज करने का अधिकार भी जस्टिस सदाशिवम की देन है।

    फांसी की सजा पाए अपराधियों को लेकर इनका रुख कुछ नरम रहा। जस्टिस सदाशिवम ने सुनिश्चित किया कि राजनीतिक नफा-नुकसान के लिए किसी को फांसी न दी जा सके।

    * जब संसद हमले के दोषी अफजल गुरू के परिवार को बताए बगैर ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया तो जस्टिस सदाशिवम ने कथितरूप से आपत्ति ली थी।

    * इसके बाद ही उन्होंने व्यवस्था दी कि दोषी के परिवार को उसके अंतिम संस्कार का अधिकार मिले।

    * जस्टिस सदाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही दया याचिका में देरी के आधार पर राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की सजा घटाकर उम्र कैद में तब्दील की थी।

    * इनके आदेश पर ही पाकिस्तानी नागरिक खलिल चिश्ती को उसके मुल्क भेजा गया था।

    * जस्टिस सदाशिवम ने आदेश दिया था कि किसी भी धर्म के लोगों के संतान गोद लेने का अधिकार है।

    * अभिनेता संजय दत्त की सजा का फैसला कायम रखा।

    * न्यायिक अधिकारियों के लिए वन रैंक, वन पेंशन का प्रावधान किया।

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