विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से मिल तमिलनाडु विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की
तमिलनाडु विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने के लिए विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। तमिलनाडु में जारी सियासी उठापटक के बीच पलानीस्वामी सरकार के विश्वास मत साबित करने का मसला राष्ट्रपति के दरबार में पहुंच गया है। विपक्षी दलों ने अन्नाद्रमुक के आंतरिक विद्रोह के कारण मुख्यमंत्री पलानीस्वामी के बहुमत खो देने का दावा किया। राष्ट्रपति से कहा कि राज्यपाल विश्वास मत के लिए विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं। जबकि अन्नाद्रमुक के 19 विधायकों ने राज्यपाल को सरकार का समर्थन नहीं करने का पत्र सौंप रखा है।
तमिलनाडु में द्रमुक और दूसरी विपक्षी पार्टियां राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव द्वारा विश्वास मत परीक्षण की मांग को नजरअंदाज किए जाने की शिकायत लेकर गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास पहुंची। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, माकपा के सीताराम येचुरी, द्रमुक सांसद कनीमोरी और भाकपा के डी. राजा आदि नेताओं ने मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें अन्नाद्रमुक के शशिकला गुट के नेता दिनाकरन समर्थक 19 विधायकों द्वारा पलानीस्वामी सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद विधानसभा में मुख्यमंत्री के पास बहुमत नहीं होने का ब्यौरा दिया गया है। विपक्षी पार्टियों ने अपने तर्को के साथ राष्ट्रपति से कहा कि वे राज्यपाल राव को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वाह करने का निर्देश दें।
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद द्रमुक नेता कनीमोरी ने कहा कि विधायकों के समर्थन वापस लेने के मामले को अन्नाद्रमुक का अंदरुनी मसला नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि जब पन्नीरसेल्वम गुट के साथ पलानीस्वामी का झगड़ा सामने आया तो मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से बहुमत परीक्षण के लिए विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग की थी। राज्यपाल ने तब तत्काल सत्र भी बुला लिया था। मगर अब विपक्षी दलों के तमाम अनुरोध और तर्को नजरअंदाज किया जा रहा है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और भाकपा के डी. राजा ने कहा कि तमिलनाडु की स्थिति बेहद गंभीर है। राजनीतिक अस्थिरता के इस दौर को देखते हुए मुख्यमंत्री को तत्काल बहुमत साबित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। विपक्षी नेताओं के दल में शामिल द्रमुक सांसद त्रिचि शिवा ने कहा कि विधानसभा में अन्नाद्रमुक के विधायकों की संख्या 113 रह गई है। जबकि सरकार विरोधियों की संख्या 120 तक पहुंच चुकी है।
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