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    एनडीटीवी इंडिया पर प्रतिबंध के मामले में सरकार और विपक्ष आमने-सामने

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Sat, 05 Nov 2016 11:15 AM (IST)

    एनडीटीवी ने आदेश को 'स्तब्धकारी' बताते हुए आरोप लगाया है कि बैन के लिए सिर्फ उसे चुना गया है। वह सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है। ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पठानकोट आतंकी हमले की आपत्तिजनक कवरेज के मामले में 'एनडीटीवी इंडिया' का प्रसारण एक दिन के लिए बंद करने के फैसले के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। राजनीतिक तौर पर जहां एकजुट विपक्ष ने इसे आपातकाल की याद दिलाने वाला करार दे दिया।

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    वहीं, भाजपा ने प्रसारण पर रोक का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्र से पहले कुछ नहीं हो सकता और राष्ट्रीय सुरक्षा से कदापि समझौता नहीं होगा। सरकार ने एक लंबी सूची जारी करके साफ किया कि संप्रग शासनकाल में भी ऐसे दर्जनों मामले हुए थे जब चैनल के प्रसारण पर रोक लगाई गई थी।बता दें कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने पठानकोट मामले में एनडीटीवी इंडिया की कवरेज के कुछ हिस्सों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक मानते हुए दंडित किया है।

    9 नवंबर की रात 12 बजे से 10 नवंबर की रात 12 बजे तक एनडीटीवी इंडिया ऑफ एयर होगा।शुक्रवार को कांग्रेस, जदयू, राजद, बीजद, वामपंथी जैसे कई दलों ने विरोध जताया और कहा कि इससे आपातकाल की याद ताजा होने लगी है। सरकार भी पूरी तत्परता से उतर आई है। सूचना व प्रसारण मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, 2008 में मुंबई हमले के बाद से लेकर 2015 में गुरदासपुर में आतंकी के खिलाफ कार्रवाई तक चैनलों को आधा दर्जन से ज्यादा बार एडवाइजरी जारी की गई थी। उन्हें बार-बार आगाह किया गया था कि ऐसी कार्रवाई का सजीव प्रसारण न करें क्योंकि इससे आतंकियों को लाभ मिल सकता है।

    एक सूची भी जारी की गई है जिसमें 2005 से 2015 तक के 28 ऐसे मामलों का जिक्र किया गया है जब किसी चैनल को एक दिन से लेकर एक महीने तक प्रतिबंधित किया गया था। इसमें अधिकतर मामले ऐसे थे जिसमें या तो अश्लीलता दिखाई जा रही थी या महिलाओं की गरिमा पर चोट की जा रही थी। अप्रैल 2015 के आखिरी मामले में सरकार ने अलजजीरा को पांच दिन के लिए प्रतिबंधित किया था। चैनल ने भारत का गलत मैप दिखाया था।

    जानिए, क्या कहा राजनेताअों ने

    'मीडिया की स्वतंत्रता का हम समर्थन करते हैं, लेकिन राष्ट्र सर्वप्रथम है। सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता।' - श्रीकांत शर्मा, भाजपा सचिव

    'सरकार का यह फैसला सदमे जैसा है, यह अभूतपूर्व है।'- राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष

    'अब से मीडिया अपना निष्पक्ष और स्वतंत्र दृष्टिकोण रखने में डरेगा।'- शरद यादव, जदयू नेता

    'मीडिया की स्वतंत्रता की मौत लोकतंत्र की मौत जैसा है।'- तथागत सतपथी, बीजद सांसद

    क्या है मामला?

    सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समिति गुरुवार को इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि पठानकोट में जब वायुसेना के एयरबेस पर आतंकी हमला हो रहा था, तब 'एनडीटीवी इंडिया' ने महत्वपूर्ण और 'रणनीतिक रूप से संवदेनशील' सूचनाओं को प्रसारित कर दिया था। उसकी सिफारिश पर मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा, 'भारत भर में किसी भी मंच के जरिए एनडीटीवी इंडिया के एक दिन के प्रसारण या पुन: प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए गए हैं।

    यह आदेश 9 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट से 10 नवंबर, 2016 को रात 12 बजकर 1 मिनट तक प्रभावी रहेगा..।' इस मामले नोटिस का जवाब देते हुए चैनल ने कहा था कि यह 'किसी बात को अपने--अपने नजरिए से देखने' का मामला है। जो सूचनाएं हमने प्रसारित कीं, वे पहले से प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के जरिए सार्वजनिक थीं।

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