ऑपरेशन ब्लूस्टार से अगस्ता का भी वास्ता..
ऑपरेशन ब्लूस्टार के लिए ब्रिटिश मदद पर लंदन में सावर्जनिक हुई एक रिपोर्ट 1984 में भारत को वेस्टलैंड कंपनी के हेलीकॉप्टर बिक्री पर चल रही बातचीत का भी जिक्र करती है। यह वही कंपनी है जो अब अगस्ता-वेस्टलैंड कहलाती है और इन दिनों भारत में वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद सौदे में रिश्वतखोरी को लेकर सीबीआइ जांच के घेरे में है।
नई दिल्ली, प्रणय उपाध्याय। ऑपरेशन ब्लूस्टार के लिए ब्रिटिश मदद पर लंदन में सावर्जनिक हुई एक रिपोर्ट 1984 में भारत को वेस्टलैंड कंपनी के हेलीकॉप्टर बिक्री पर चल रही बातचीत का भी जिक्र करती है। यह वही कंपनी है जो अब अगस्ता-वेस्टलैंड कहलाती है और इन दिनों भारत में वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद सौदे में रिश्वतखोरी को लेकर सीबीआइ जांच के घेरे में है।
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ब्रिटिश कैबिनेट सचिव की रिपोर्ट स्वर्ण मंदिर पर सैन्य कार्यवाही की सलाह और हेलीकॉप्टर सौदे के बीच किसी सीधे रिश्ते को नकारती है। हालांकि, इतिहास की कड़ियां बताती हैं कि 1984 से 85 के बीच वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों की बिक्री दोनों मुल्कों के बीच बड़ा मुद्दा था और 1985 में ब्रिटिश दबाव के बाद हेलीकॉप्टर भारत को खरीदने भी पड़े, जो काफी महंगे पड़े।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री को 3 फरवरी को सौंपी गई पुराने दस्तावेजों पर आधारित 23 बिंदु की जांच रिपोर्ट में वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर बिक्री का भी उल्लेख है। 'दैनिक जागरण' के पास मौजूद रिपोर्ट के मुताबिक ऑपरेशन ब्लूस्टार के आसपास भारत के साथ ब्रिटिश अधिकारी कई रक्षा सौदों और नागरिक इस्तेमाल के लिए वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की बिक्री पर बात कर रहे थे। हालांकि काफी सावधानी से बनाई गई यह रिपोर्ट ब्लूस्टार के लिए भारत को दी गई सैन्य सलाह पर जहां कई अहम दस्तावेजों के 2009 में ही नष्ट कर दिए जाने की बात करती है। वहीं भारतीय आग्रह पर सैन्य सलाहकार को भेजने व किसी व्यापारिक सौदे के बीच किसी रिश्ते को भी नकारती है।
महत्वपूर्ण है कि 80 के दशक में ब्रिटेन सरकार घाटा झेल रही वेस्टलैंड कंपनी के हेलीकॉप्टरों के लिए खरीदार तलाश रही थी। इस ब्रिटिश कंपनी ने उस वक्त भी वीवीआइपी परिवहन के लिए हेलीकॉप्टर खरीद प्रक्रिया में शिरकत की थी, लेकिन बात बन नहीं पाई। बताया जाता है कि अगस्ता को चयन समिति में उस समय भी अयोग्य करार दे दिया गया था। बाद में तत्कालीन पीएमओ के आग्रह पर उसे चुना भी गया, लेकिन खरीद प्रक्रिया पूरी होती, उससे पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो गई।
इसके बाद पेशेवर पायलट से प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे राजीव गांधी की सरकार ने वीवीआइपी परिवहन के लिए तो अगस्ता के भारी-भरकम डब्ल्यूजी-30 हेलीकॉप्टरों को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, बाद में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री मार्गेट थैचर के आग्रह को मानते हुए 21 हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दे दी। हेलीकॉप्टर कंपनी ऑफ इंडिया से पवनहंस लिमिटेड बनी सरकारी नागरिक उड्डयन कंपनी के शुरुआती बेड़े में 17 सीटों वाला यह डब्ल्यूजी-30 हेलीकॉप्टर भी शामिल था। ब्रिटिश आर्थिक सहायता के बदले इन हेलीकॉप्टरों की खरीद 6.5 करोड़ पाउंड में की गई।
पवनहंस की ऑफशोर उड़ान सेवा की शुरुआत 1986 में इसी सौदे के तहत लिए गए दो डब्ल्यूजी-30 हेलीकॉप्टरों के साथ की गई थी। यद्यपि 14 जुलाई 1988 को वैष्णो देवी के नजदीक और 7 फरवरी 1989 को कोहिमा के करीब डब्ल्यूजी-30 हेलीकॉप्टर हादसों में 10 यात्रियों की मौत के बाद 1991 में इन मंहगे उड़नखटोलों को जमीन पर खड़ा कर दिया गया।
1984 बनाम 2014..फिर वही नाम
अस्सी के दशक में अगस्ता के डब्ल्यूजी-30 हेलीकॉप्टर खरीद पर फजीहत हुई तो 2010 में अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ 12 हेलीकॉप्टर खरीद से रिश्वतखोरी व घोटाले का जिन्न निकला। विवादित वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़े ब्रिटिश बिचौलिये सी. माइकल का फैक्स संदेश सामने आया, जिसमें सोनिया गांधी व सरकार के कई नेताओं को साधने की बात कही गई। संयोग है कि सी. माइकल 1985 के अगस्ता हेलीकॉप्टर सौदे के दौरान सक्रिय रहे बिचौलिये वुल्फगैंग मैक्स माइकल रिचर्ड का बेटा है।
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