गाडि़यों में भरवाइए बायो डीजल
देश में पर्यावरण अनुकूल ईंधन को बढ़ावा देने की खातिर चार शहरों- दिल्ली, विशाखापत्तनम, हल्दिया और विजयवाड़ा के चुनिंदा पेट्रोल पंपों पर बायो डीजल मिश्रित डीजल की बिक्री शुरू की गई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । देश में पर्यावरण अनुकूल ईंधन को बढ़ावा देने की खातिर चार शहरों- दिल्ली, विशाखापत्तनम, हल्दिया और विजयवाड़ा के चुनिंदा पेट्रोल पंपों पर बायो डीजल मिश्रित डीजल की बिक्री शुरू की गई है। वैसे, देश में बायो-डीजल की कीमत क्या होगी और इसे कौन उपलब्ध कराएगा, इसको लेकर तमाम सवालों का जवाब अभी सरकार को खोजना है। लेकिन यह कदम पर्यावरण की देखभाल के साथ ही किसानों की स्थिति को सुधारने में भी मील का पत्थर साबित हो सकता है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि सरकारी तेल कंपनियां देश के कई हिस्सों में बायो-डीजल के उत्पादन को बढ़ावा देने का अभियान शुरू करेंगी।
प्रधान ने स्वीकार किया कि आज की तारीख में देश की जरूरत के मुताबिक न तो पेट्रोल में मिश्रण के लिए एथनॉल मिल रहा है और न ही डीजल में मिश्रण के लिए बायो डीजल। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के काफी कम हो जाने से बायो डीजल की लागत को लेकर भी काफी सोचना पड़ेगा। इसके बावजूद लंबी अवधि में पर्यावरण को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सरकार बायो डीजल मिश्रित डीजल की बिक्री को प्रोत्साहन देगी। प्रधान ने बताया कि अगर पांच फीसद मिश्रण का फैसला किया जाए तो देश में 35 लाख लीटर बायो डीजल की जरूरत हर वर्ष होगी। लेकिन अभी उत्पादन महज 10 लाख टन की है। वैसे कितना मिश्रण करना है, इसका फैसला नहीं किया गया है। सरकार का मानना है कि मौजूदा हालात में पांच फीसद तक बायो डीजल मिश्रित किया जा सकता है।
राजग सरकार ने जनवरी, 2015 में बायो डीजल मिश्रित डीजल की बिक्री का फैसला किया था। बायो डीजल मूंगफली तेल, पाम ऑयल और जट्रोफा वगैरह से तैयार होता है। ब्राजील में पेट्रोल में 80 फीसद तक एथनॉल और डीजल में 30 फीसद तक बायो डीजल मिलाया जाता है। लेकिन वहां की वाहन कंपनियां अब इसी हिसाब से इंजन भी बनाती है। भारत में सरकार पिछले 12 वर्षो से 5-10 फीसद एथनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है। राज्यों की तरफ से इन पर अलग-अलग टैक्स लगाने से स्थिति और बिगड़ी है। प्रधान ने कहा है कि वह राज्यों की इस बारे में एक बैठक बुलाने की कोशिश कर रहे हैं।
राह की अड़चनें
1. कच्चे तेल के सस्ता होने से बायो डीजल मिश्रण महंगा हुआ
2. बायो डीजल की हर समय उपलब्धता एक बड़ी समस्या
3. इसकी कीमत तय करने के लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं
4. राज्य लगाते हैं कि बायो डीजल पर बहुत ज्यादा शुल्क

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