अब डीयू से तीन साल में ही पूरी होगी स्नातक की डिग्री
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में इस सत्र से स्नातक में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में ही दाखिले लिए जाएंगे। पिछले सत्र से शुरू हुए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) को खत्म करने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। डीयू की स्वायत्तता को दरकिनार करते हुए यूजीसी ने डीयू व उससे संबद्ध 64 कॉलेजों को आदेश दिया है कि वे नए सत्र में तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को दाखिला दें।
नई दिल्ली [अभिनव उपाध्याय]। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में इस सत्र से स्नातक में तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में ही दाखिले लिए जाएंगे। पिछले सत्र से शुरू हुए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) को खत्म करने को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। डीयू की स्वायत्तता को दरकिनार करते हुए यूजीसी ने डीयू व उससे संबद्ध 64 कॉलेजों को आदेश दिया है कि वे नए सत्र में तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को दाखिला दें। कड़े शब्दों में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि कोई कॉलेज इस आदेश की अवहेलना करता है तो उसे दिया जाने वाला अनुदान रोका जा सकता है।
यूजीसी के आदेश संबंधी पत्र मिलने के बाद डीयू और कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया है। शनिवार को हुई एकेडमिक काउंसिल (एसी) की बैठक के बाद चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को खत्म करने के आदेश पर पुनर्विचार के अनुरोध का आखिरी विकल्प भी अब डीयू के पास नहीं बचा है। यूजीसी ने यह भी कहा है कि कॉलेज कटआफ जारी करें और तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के तहत दाखिला दें।
यह व्यवस्था वैसी ही होगी, जैसी सत्र 2013-14 में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम के पहले लागू थी। अपने आदेश में यूजीसी ने यह भी कहा है कि डीयू द्वारा चलाए जा रहे चार वर्षीय पाठ्यक्रम को तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत समायोजित किया जाए और यह व्यवस्था की जाए कि छात्रों को इस परिवर्तन से कोई परेशानी न हो।
शुरू से ही होने लगा था विरोध
चार वर्षीय पाठ्यक्रम लागू होने से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया था। कुछ छात्र व शिक्षक संगठन लगातार इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे। केंद्र में सरकार बदलने के बाद विरोध के स्वर तेज हो गए थे। गत शुक्रवार को यूजीसी ने डीयू प्रशासन को स्पष्ट आदेश दिए थे कि वह चार वर्षीय पाठ्यक्रम खत्म कर दे, लेकिन शनिवार को हुई डीयू की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में बहुमत से प्रस्ताव पारित किया गया था कि यूजीसी अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे। लेकिन यूजीसी ने कोर्स को समाप्त करने का आदेश दे दिया।