उत्तर भारत के सबसे बड़े जल सेतु का निर्माण
गाडि़यां, ट्रेन और मेट्रो यह सभी तो किसी न किसी फ्लाइओवर पुल से जमीन के ऊपर से आते-जाते दिख जाते हैं। बहुत कम ही लोग होंगे जिन्होंने पानी का उपरिगामी ...और पढ़ें

सोनभद्र । गाडि़यां, ट्रेन और मेट्रो यह सभी तो किसी न किसी फ्लाइओवर पुल से जमीन के ऊपर से आते-जाते दिख जाते हैं। बहुत कम ही लोग होंगे जिन्होंने पानी का उपरिगामी पुल देखा होगा। यदि ऐसा जलसेतु देखना हो तो दुद्धी क्षेत्र के कोलिनडूबा गांव की ओर आएं। कोलिनडूबा से हरनाकछार गांव की जमीनी सतह पर पानी पहुंचाने के लिए उत्तर भारत के सबसे बड़े जल सेतु का निर्माण इन दिनों हो रहा है। इसका मूल उद्देश्य बगैर किसी अतिरिक्त खर्च के कनहर बांध के पानी को अंतिम छोर तक पहुंचाना है।
कनहर परियोजना के दाई नहर से 14.50 क्यूमेक सिंचाई का पानी अंतिम छोर तक उपलब्ध कराने के लिए कोलिनडूबा व हरनाकछार के मध्य 1775 मीटर लंबा जल सेतु का निर्माण कराया जा रहा है। जमीन से इसकी ऊंचाई 22 मीटर है। इसके निर्माण में तकरीबन 44.52 करोड़ रुपये व्यय होने की संभावना है। इसके निर्माण से किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने में कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। सेतु के नीचे से रेलवे लाइन व सड़क के साथ मलिया नदी भी पार होगी। कनहर में दाई नहर के 24.025 किलोमीटर से 25.800 किलोमीटर के बीच करीब 20 प्रतिशत काम हो चुका है। इसे पूरा करने में लगभग दो वर्ष का समय लगेगा।
युद्ध स्तर पर चल रहा कार्य
कनहर परियोजना (खंड-एक) के अधिशासी अभियंता केवी पांडेय ने बताया कि इस जल सेतु के निर्माण का फायदा बनने के बाद दिखेगा। इसका निर्माण युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द इस काम को पूरा कर लिया जाए।

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